हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर आज हम पढ़ेंगे भारत के एक प्रसिद्ध कवि सोहनलाल द्विवेदी जी की प्रसिद्ध कविता बढ़े चलो बढ़े चलो कविता, Badhe Chalo Badhe Chalo Poem by Sohanlal Dwivedi, Badhe Chalo Badhe Chalo lyrics, Badhe Chalo Badhe Chalo Kavita In Hindi.
बढ़े चलो बढ़े चलो कविता, Badhe Chalo Badhe Chalo Poem By Sohanlal Dwivedi -:
न हाथ एक शस्त्र हो
न हाथ एक अस्त्र हो
न अन्न वीर वस्त्र हो
हटो नहीं, डरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो।।
रहे समक्ष हिम-शिखर
तुम्हारा प्रण उठे निखर
भले ही जाए जन बिखर
रुको नहीं, झुको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो।।
घटा घिरी अटूट हो
अधर में कालकूट हो
वही सुधा का घूंट हो
जिये चलो, मरे चलो, बढ़े चलो, बढ़े चलो।।
गगन उगलता आग हो
छिड़ा मरण का राग हो
लहू का अपने फाग हो
अड़ो वहीं, गड़ो वहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो।।
चलो नई मिसाल हो
जलो नई मिसाल हो
बढो़ नया कमाल हो
झुको नहीं, रूको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो।।
अशेष रक्त तोल दो
स्वतंत्रता का मोल दो
कड़ी युगों की खोल दो
डरो नहीं, मरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो।।
Thank you for reading कवि सोहनलाल द्विवेदी जी की प्रसिद्ध कविता बढ़े चलो बढ़े चलो कविता, Badhe Chalo Badhe Chalo Lyrics, Badhe Chalo Badhe Chalo Poem In Hindi By Sohanlal Dwivedi, Badhe Chalo Badhe Chalo Kavita In Hindi.
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