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50 + Famous Lord Mahavir Quotes in Hindi

हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर आज हम पढ़ेंगे भगवान महावीर के अनमोल वचन, Lord Mahavir Quotes in Hindi.

भगवान महावीर के अनमोल वचन Lord Mahavir Quotes in Hindi -:

~ केवल सत्य ही इस संसार का सार है।

~ शांति और आत्म-नियंत्रण ही अहिंसा है।

~ हर एक प्राणी का सम्मान करना ही अहिंसा कहलाती है।

~ मन, वाणी और शरीर से संपूर्ण संयम में रहने का सार ही ब्रह्मचर्य है।

~ जो भय का विचार करता है वह खुद को अकेला और असहाय पाता है।

~ बाहरी त्याग अर्थहीन है यदि आत्मा आंतरिक बंधनों से जकड़ी रहती है।

~ सत्य के प्रकाश से प्रबुद्ध होकर बुद्धिमान व्यक्ति मृत्यु से ऊपर उठ जाता है।

~ जीव हत्या ना करें, किसी को ठेस न पहुंचाएं। अहिंसा ही सबसे महान धर्म है।

~ हर एक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है, आनंद बाहर से नहीं आता है।

~ स्वयं पर विजय प्राप्त करना लाखों करोड़ों दुश्मनों पर विजय पाने से बेहतर है।

~ केवल वह व्यक्ति जो भय को पार कर चुका है, समता का अनुभव कर सकता है।

~ इस दुनिया में हर एक प्राणी स्वतंत्र है। कोई भी किसी और पर निर्भर नहीं करता है।

~ अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म होता है, जो सभी जीवों के कल्याण की कामना करता है।

~ वाणी के अनुशासन में असत्य बोलने से बचना और मौन का पालन करना शामिल है।

~ जीतने पर कभी भी गर्व नहीं करना चाहिए और ना ही कभी हारने पर दुख करना चाहिए।

~ साधक ऐसे शब्द बोलता है जो नपे-तुले हों और सभी जीवित प्राणियों के लिए लाभकारी हों।

~ जो जागरूक नहीं है उसे सभी दिशाओं से डर है। जो सतर्क है उसे कहीं से कोई भी डर नहीं है।

~ आपको किसी की चुगली नहीं करनी चाहिए और ना ही आपको छल-कपट में लिप्त होना चाहिए।

~ हर एक जीवित जीवधारी के प्रति दयाभाव रखो, क्योंकि नफरत और घृणा करने से विनाश होता है।

~ अगर आपके मन के अंदर किसी एक के लिए भी बैर है तो मंदिर जाना आपके लिए सिर्फ एक सैर है।

~ किसी भी जीवित प्राणी को मारना नहीं चाहिए और ना ही उस पर शासन करने का प्रयत्न करना चाहिए।

~ सुखी जीवन जीने के लिए दो बातों को हमेशा याद रखना चाहिए, पहली अपनी मृत्यु और दूसरा भगवान।

~ कर्म के पास ना कोई कागज है और ना ही कोई किताब है। फिर भी उसके पास सारे जगत का हिसाब है।

~ जिस प्रकार हर कोई जलती हुई अग्नि से दूर रहता है उसी प्रकार बुराइयां एक प्रबुद्ध मनुष्य से दूर रहती है।

~ एक सच्चा मनुष्य मां के समान विश्वसनीय, गुरु की तरह सम्माननीय और ज्ञानी व्यक्ति की तरह प्रिय होता है।

~ जिस प्रकार धागे से बंधी सुई खो जाने से सुरक्षित है, उसी प्रकार स्व-अध्ययन में लगा व्यक्ति खो नहीं सकता है।

~ इंसान खुद अपने दोष के कारण ही दुखी रहते हैं। अगर वो चाहें तो अपनी गलती सुधार कर खुश रह सकते हैं।

Bhagwan mahavir swami ke vichar :-

~ सुख-दुःख, आनंद और कष्ट में हमें हर प्राणी के प्रति वैसी ही भावना रखनी चाहिए। जैसे कि हम हमारे प्रति रखते हैं।

~ वो जो सत्य जानने में मदद कर सके, चंचल मन को नियंत्रित कर सके और आत्मा को शुद्ध कर सके उसे ज्ञान कहते हैं।

~ केवल वही विज्ञान महान और सभी विज्ञानों में श्रेष्ठ है। जिसका अध्ययन मनुष्य को सभी प्रकार के दुखों से मुक्त कर देता है।

~ खुद से लड़ो, बाहर के शत्रुओं से क्या लड़ना। वह व्यक्ति जो खुद पर विजय प्राप्त कर लेता है उसे ही आनंद की प्राप्ति होती है।

~ सभी अज्ञानी व्यक्ति पीड़ाएं पैदा करते हैं। भ्रमित होने के बाद, वे इस अनंत दुनिया में दुःखों का उत्पादन और पुनरुत्थान करते हैं।

~ जैसे एक कछुआ अपने पैर शरीर के अन्दर वापस ले लेता है, उसी तरह एक वीर अपना मन सभी पापों से हटा स्वयं में लगा लेता है।

~ किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असली रूप को ना पहचानना है और यह सिर्फ खुद को जानकर ही सही की जा सकती है।

~ ईश्वर का अलग से कोई भी अस्तित्व नहीं है। हर कोई व्यक्ति देवदत्त प्राप्त कर सकता है अगर वह सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास करें तो।

~ मुझे समता को प्राप्त करने के लिए अनुराग और द्वेष, अभिमान और विनय, जिज्ञासा, डर, दुःख, भोग और घृणा के बंधन का त्याग करने दें।

~ सभी जीवों की आत्मा केवल अकेले ही आती है और अकेले ही चली जाती है। उसका न कोई साथ देता है और न ही उसका कोई दोस्त बनता है।

~ किसी भी व्यक्ति के अस्तित्व को मिटाने की अपेक्षा उसे शांति से जीने दो और खुद भी शांति से जीने की कोशिश करो। तभी आपका कल्याण होगा।

~ जिस तरह से आग को ईंधन से नहीं बुझाया जा सकता है, उसी तरह कोई भी जीवित प्राणी तीनों लोकों की सारी धन दौलत से संतुष्ट नही हो सकता है।

~ जन्म का मृत्यु के द्वारा, नौजवानी का बुढ़ापे के द्वारा और भाग्य का दुर्भाग्य के द्वारा स्वागत किया जाता है। इस तरह इस दुनिया में सब कुछ क्षणिक है।

~ अगर आप लोग मुझसे नहीं डर रहें हो तो कोई बात नहीं। लेकिन आपको अपने कर्मों से जरूर डरना चाहिए। क्योंकि कर्मों ने तो मुझे भी नहीं छोड़ा है।

~ आप को तब तक नहीं बोलना चाहिए जब तक कि आपको बोलने के लिए कहा न जाए। क्योंकि तुम्हें दूसरों की बातचीत में व्यवधान नहीं डालना चाहिए।

~ अगर हमने कभी किसी के लिए अच्छा काम किया है तो उसे भूल जाना चाहिए और अगर कभी किसी ने हमारा बुरा किया है तो हमें उसे भी भूल जाना चाहिए।

~ एक चोर न तो दया और ना ही शर्म महसूस करता है, ना ही उसमें कोई अनुशासन और विश्वास होता है। ऐसी कोई बुराई नहीं है जो वो धन के लिए नहीं कर सकता है।

~ अज्ञानी कर्म का प्रभाव ख़त्म करने के लिए लाखों जन्म लेता है। जबकि आध्यात्मिक ज्ञान रखने और अनुशासन में रहने वाला व्यक्ति एक क्षण में उसे ख़त्म कर देता हो।

~ किसी भी जीव को नुकसान न पहुचाएं, गाली ना दें, अत्याचार न करें, उसे दास न बनायें, उसका अपमान ना करें, उसे सताएं अथवा प्रताड़ित न करें तथा उसकी हत्या ना करें।

~ कीमती वस्तुओं की बात दूर है, एक तिनके के लिए भी लालच करना पाप को जन्म देता है। एक लालच रहित व्यक्ति, अगर वो मुकुट भी पहने हुए है तो पाप नहीं कर सकता।

~ एक भिक्षुक को उस पर नाराज़ नहीं होना चाहिए जो उसके साथ दुर्व्यवहार करता है। अन्यथा वह एक अज्ञानी व्यक्ति की ही तरह होगा। इसलिए उसे क्रोधित नहीं होना चाहिए।

~ आपकी आत्मा से अलग कोई भी आपका दुश्मन नहीं है। असली दुश्मन आपके अंदर रहते हैं। और वह दुश्मन हैं – आपका लालच, क्रोध, नफरत, आसक्ति और आपका अहंकार।

~ जितना अधिक आप पाते हैं, उतना अधिक आप चाहते हैं। लाभ के साथ-साथ लालच बढ़ता जाता है। जो २ ग्राम सोने से पूर्ण किया जा सकता है वो करोड़ों से नहीं किया जा सकता।

~ एक जीवित शरीर केवल अंगों और मांस का एकीकरण नहीं है, बल्कि यह आत्मा का निवास है। जो संभावित रूप से परिपूर्ण धारणा, संपूर्ण ज्ञान, परिपूर्ण शक्ति और परिपूर्ण आनंद है।

~ जो लोग जीवन के सर्वोच्च उद्देश्य से अनजान हैं। वे व्रत रखने और धार्मिक आचरण के नियम मानने और ब्रह्मचर्य और तप का पालन करने के बावजूद निर्वाण प्राप्त करने में सक्षम नहीं होंगे।

~ किसी के सिर पर गुच्छेदार या उलझे हुए बाल हों या उसका सिर मुंडा हुआ हो, वह नग्न रहता हो या फटे-चिथड़े कपड़े पहनता हो। लेकिन अगर वो झूठ बोलता है तो ये सब व्यर्थ और निष्फल है।

~ जिस तरह से आपको दुःख अच्छा नहीं लगता है, उसी तरह दूसरे लोग भी इसे पसंद नहीं करते हैं। अत: आपको दूसरों के साथ वह नहीं करना चाहिए जो आप दूसरे लोगों से अपने साथ नहीं होने देना चाहते।

~ एक आदमी जलते हुए जंगल के बीच में एक ऊंचे पेड़ पर बैठा है। वह सभी जीवों को मरते हुए देखता है और खुश होता है। लेकिन वह यह नहीं जानता कि जल्द ही उसका भी यही हाल होने वाला है, वह व्यक्ति अत्यंत मूर्ख है।

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