मध्य प्रदेश के प्रमुख जनजातीय व्यक्तित्व, madhya pradesh ke Pramukh Janjatiya vyaktitva, tribal personalities of madhya pradesh, tribal personalities of mp

Famous Tribal Personalities Of Madhya Pradesh In Hindi 2023

हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान के अंतर्गत आज हम पढ़ेंगे मध्य प्रदेश के प्रमुख जनजातीय व्यक्तित्व, मध्य प्रदेश के जनजाति व्यक्तित्व, Important Tribal Personalities of Madhya Pradesh in Hindi, madhya pradesh ke pramukh janjatiya vyaktitva, madhya pradesh ke janjati vyaktitva, famous tribal personalities of madhya pradesh in hindi, important tribal personalities of mp in hindi से जुड़ी हुई जानकारी।

मध्य प्रदेश के प्रमुख जनजातीय व्यक्तित्व, Famous Tribal Personalities Of Madhya Pradesh In Hindi -:

टंट्या भील -:

टंट्या भील का जन्म सन् 1842 में पश्चिमी निमाड़ के विरी गांव में हुआ था। इन्हें तांतिया मामा के नाम से भी जाना जाता है। भील जनजाति के लोग टंट्या भील की एक देवता की तरह पूजा करते हैं। उन्हें गुरिल्ला युद्ध पद्धति में निपुणता हासिल थी। टंट्या भील को 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का आदिवासी जननायक कहा जाता है।

अंग्रेज़ों ने उन्हें गिरफ्तार कर राजद्रोह का मुकदमा चलाया। जिसके तहत 4 दिसंबर 1889 को टंट्या भील को फांसी दे दी गई। टंट्या भील को अंग्रेज इंडियन रोबिनहुड के नाम से बुलाते थे। मध्य प्रदेश शासन द्वारा शिक्षा एवं खेल क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने वाले आदिवासी युवा को जननायक टंट्या भील सम्मान प्रदान किया जाता है। जिसके अंतर्गत 1 लाख रुपए की सम्मान निधि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। (tribal personalities of madhya pradesh)

वीरसा गोंड -:

वीरसा गोंड नर्मदा घाटी क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी आदिवासी नेता थे। 19 अगस्त 1942 को वीरसा गोंड और अन्य क्रान्तिकारियों ने मिलकर बैतूल जिले के घोड़ा डोंगरी शाहपुर क्षेत्र के रेलवे स्टेशन पर आंदोलन किया। इस दौरान पुलिस द्वारा बिना चेतावनी दिए गोली चलाने के कारण वीरसा गोंड की मृत्यु हो गई। (tribal personalities of madhya pradesh in hindi)

शंकर साह -:

गढ़ मंडला के गोंड शासक शंकर शाह का जन्म सन् 1783 में हुआ था। जबलपुर में 1857 की क्रांति का नेतृत्व शंकर शाह ने किया था। अंग्रेज़ों ने अपने मुखबिरों और राजा शंकर शाह के गद्दारों के साथ मिलकर 14 सितंबर 1857 को राजा शंकर शाह, कुंवर रघुनाथ शाह और अन्य क्रान्तिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह पर देशद्रोह का मुकदमा दायर किया गया। 18 सितंबर 1857 को दोनों को तोप के मुंह पर बांध कर तोप चला दी गई। (tribal personalities of madhya pradesh)

जंगगढ़ सिंह श्याम -:

जंगगढ़ सिंह श्याम का जन्म डिंडोरी जिले के पाटनगढ़ में 1962 में हुआ था। वह गोंड जनजाति की उपजाति परधन गोंड से थे। जंगगढ़ सिंह श्याम एक गोंड चित्रकार थे। इन्होंने गोंड चित्रकला में सर्वप्रथम कागज और कैनवास का उपयोग किया। गोंड चित्रकला में हुए इस नए उपयोग को जंगगढ़ कलाम कहा गया। इसलिए इन्हें भारतीय कला के एक नए स्कूल जंगगढ़ कलाम का निर्माता माना जाता है। जंगगढ़ सिंह श्याम के चित्रों में गोंड देवताओं की प्रमुखता रही है। जंगगढ़ सिंह श्याम को 1986 में शिखर सम्मान से नवाजा गया। जंगगढ़ सिंह श्याम का देहांत 2001 में जापान में स्थित मिथिला संग्रहालय में हुआ। (famous tribal personalities of madhya pradesh in hindi)

संग्राम शाह -:

संग्राम शाह (1482-1532) गोंड वंश के 48वे शासक थे। संग्राम शाह का मूल नाम अमन दास था। 52 गढ़ों यानि किलों को जीतने के बाद इन्होंने खुद को संग्राम शाह की उपाधि दी।

दलपत शाह -:

दलपत शाह का जन्म गढ़ मंडला में हुआ था। इनके पिता संग्राम शाह थे। दलपत शाह गोंड वंश के शासक थे। दलपत शाह का विवाह राजकुमारी दुर्गावती से हुआ। जो कि एक वीरांगना थी।

रानी दुर्गावती -:

रानी दुर्गावती गोंड शासक दलपत शाह की पत्नी थीं। दलपत शाह की मृत्यु के बाद रानी दुर्गावती ने 16 साल (1548-1564) तक शासन किया। 24 जून 1564 को मुगलों से लड़ते हुए वीरांगना रानी दुर्गावती शहीद हो गईं।

धीर सिंह -:

रीवा राज्य में 1857 की क्रांति के प्रमुख नेता धीरसिंह बघेल ( धीरज सिंह ) का जन्म सन् 1820 में रीवा के कछिया टोला गांव में हुआ था।

झलकारी बाई -:

झलकारी बाई का जन्म कोरी समाज में 22 नवंबर 1830 को झांसी के पास स्थित भोजला गांव में हुआ था। झलकारी बाई महारानी लक्ष्मीबाई की सहायक थीं। ह्यूरोज ने पीर अली और दुल्हाजू की सहायता से झलकारी बाई को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन झलकारी बाई उनकी पकड़ से भाग निकलीं और 4 अप्रैल 1857 को स्वयं ही अपने पेट में बरछी घोंप कर अपने प्राण दे दिए। झलकारी बाई का समाधि स्थल ग्वालियर में स्थित है। (tribal personalities of madhya pradesh)

रानी अवंतीबाई -:

रानी अवंती बाई का जन्म लोधी वंश में 16 अगस्त 1831 को सिवनी जिले के मनकेड़ी गांव में हुआ था। मात्र 17 वर्ष की आयु में रानी अवंती बाई का विवाह रामगढ़ रियासत, मंडला के राजा विक्रमादित्य के साथ हुआ था। राजा विक्रमादित्य के निधन के बाद रानी अवंती बाई ने राज-भार संभाला। देवहारगढ़ के जंगल में रानी अवंती बाई और अंग्रेज़ो के बीच युद्ध हुआ। इसी युद्ध के दौरान 20 मार्च 1858 को रानी अवंती बाई ने अंग्रेज़ों के हाथ लगने के बजाए खुद को अपनी ही तलवार से शहीद कर लिया।

रानी अवंती बाई 1857 की क्रांति में शहीद होने वाली प्रथम महिला वीरांगना थीं। रानी अवंती बाई की समाधि डिंडोरी जिले के साहपुर के पास बालपुर गांव में स्थित है। (tribal personalities of madhya pradesh)

सरदार गंजन सिंह कोरकू -:

गंजन सिंह कोरकू का जन्म बैतूल जिले के घोड़ा डोंगरी के पास छतरपुर गांव में हुआ था। महात्मा गांधी जी के कहने पर 1930 में गंजन सिंह कोरकू ने घोड़ाडोंगरी जंगल सत्याग्रह में आदिवासियों का नेतृत्व किया। इस जंगल सत्याग्रह को दुरिया जंगल सत्याग्रह भी कहा जाता है। गंजन सिंह कोरकू का देहांत सन् 1963 में हुआ। (tribal personalities of madhya pradesh)

भीमा नायक -:

भीमा नायक भील जनजाति के एक प्रमुख नेता थे। इन्होंने बड़वानी जिले के सेंधवा क्षेत्र में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। भीमा नायक का जन्म सन् 1840 में मध्य प्रदेश के पश्चिमी निमाड़ रियासत के तहत आने वाले जिले बड़वानी के पंचमोहली गांव में हुआ था।

1857 के अंबापानी के युद्ध में भीमा नायक ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अंग्रेज़ों ने मुखबिरों के सहयोग से 2 अप्रैल 1868 को भीमा नायक को सतपुड़ा के जंगलों में से पकड़ लिया। और उन्हें कालापानी की सजा के लिए अंडमान निकोबार भेज दिया। भीमा नायक को 29 दिसंबर 1876 में अंडमान में ही फांसी दे दी गई।

आदिवासियों को सेठ और साहूकारों के शोषण और अत्याचार से बचाने के लिए भीमा नायक को निमाड़ का रॉबिनहुड भी कहा जाता है। बड़वानी जिले के धुआंवा वावड़ी गांव में भीमा नायक का स्मारक स्थल स्थित है। (tribal personalities of madhya pradesh)

खाज्या नायक -:

भील जनजाति के प्रमुख क्रांतिकारी नेता खाज्या नायक का जन्म निमाड़ क्षेत्र के सांगली गांव में हुआ था। इनके पिता गमान नायक अंग्रेज़ों के चौकीदार थे। पिता की मृत्यु के पश्चात खाज्या नायक को अंग्रेज़ों की भील पलटन में चौकीदार बनाया गया। चौकीदार की नौकरी के दौरान खाज्या नायक द्वारा एक अपराधी को मार दिए जाने के कारण उन्हे 10 साल की सजा सुनाई गई। परन्तु अच्छे व्यवहार के कारण खाज्या नायक को 5 साल बाद रिहा कर दिया गया।

1857 की क्रांति में खाज्या नायक का महत्वपूर्ण योगदान रहा। अंग्रेज़ों ने खाज्या नायक पर 1000 रुपए का इनाम घोषित किया था। 11 अप्रैल 1858 को अम्बापानी के युद्ध में खाज्या नायक को ब्रिटिश कर्नल जेम्स आउट्रम ने मार दिया। इस युद्ध में खाज्या नायक के पुत्र दौलत सिंह भी शहीद हुए। मध्य प्रदेश शासन द्वारा 11 अप्रैल को खाज्या नायक शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। (tribal personalities of madhya pradesh)

पेमा फत्या -:

भील जनजाति के प्रसिद्ध चित्रकार पेमा फत्या का जन्म चंद्रशेखर आजाद नगर, झाबुआ में हुआ था। पेमा फत्या भील आदिवासियों की प्रसिद्ध चित्रकला पिथौरा के सर्वश्रेष्ठ चित्रकार थे। पिथौरा चित्रकला को पिठोरा नाम से भी जाना जाता है। पिथौरा चित्रकला भारत में एक मात्र ऐसी चित्रकला है जिसमें ध्वनि सुनना, उसे समझना और फिर लेखन से उसे चित्र बनाना होता है। पेमा फत्या को मध्य प्रदेश शासन ने साल 1986 में शिखर सम्मान से सम्मानित किया था। और साल 2017 में मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा तुलसी सम्मान से सम्मानित किया। 31 मार्च 2020 को पेमा फत्या का निधन हो गया। (tribal personalities of madhya pradesh)

भूरी बाई -:

भूरी बाई का जन्म झाबुआ के पिटोल गांव में हुआ। वह भील जनजाति से संबंधित हैं। भूरी बाई पिथौरा चित्रकला की एक प्रसिद्ध चित्रकार हैं। उन्हें 2021 में पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। उन्हें मध्यप्रदेश शासन से सर्वोच्च पुरस्कार शिखर सम्मान 1986-87 में तथा अहिल्या सम्मान 1998 में प्राप्त हो चुका है। (tribal personalities of madhya pradesh)

जमुना देवी -:

जमुनादेवी का जन्म धार जिले के सरदारपुर में 19 नवंबर 1929 को हुआ था। इन्हें बुआ जी के नाम से भी जाना जाता है। जमुनादेवी मध्य प्रदेश की प्रथम महिला उपमुख्यमंत्री तथा मध्य प्रदेश की प्रथम महिला नेता प्रतिपक्ष भी रहीं। जमुनादेवी को 2001 में भारत ज्योति सम्मान से सम्मानित किया गया। जमुनादेवी की मृत्यु 24 सितंबर 2010 में हुई।

दिलीप सिंह भूरिया -:

दिलीप सिंह भूरिया का जन्म झाबुआ में 18 जून 1944 को हुआ था। वे 6 बार सांसद रहे। वे अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे। दिलीप सिंह भूरिया अखिल भारतीय सहकारी संघ के अध्यक्ष भी रहे। दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में तेंदूपत्ता नीति बनाने के लिए भूरिया कमेटी बनाई गई। जिसकी अनुशंसा पर मध्य प्रदेश की तेंदूपत्ता नीति लागू हुई थी। दिलीप सिंह भूरिया का देहांत 24 जून 2015 को हुआ। ( famous tribal personalities of madhya pradesh in hindi)

कांतिलाल भूरिया -:

कांतिलाल भूरिया का जन्म झाबुआ में 1 जून 1950 को हुआ। वे पांच बार सांसद रहे हैं। कांतिलाल भूरिया वर्तमान में मध्य प्रदेश विधानसभा में विधायक के पद पर निर्वाचित हैं।

निमाड़ का रॉबिन हुड किसे कहा जाता है ?

भीमा नायक

अंग्रेज़ों द्वारा इंडियन रॉबिन हुड किसे कहा गया था ?

टंट्या भील

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