वरदान माँगूँगा नहीं कविता, Vardan Mangunga Nahi Poem By Shivmangal Singh Suman, Vardan Mangunga Nahi Lyrics, Vardan Mangunga Nahi Kavita

Famous Vardan Mangunga Nahi Poem

हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर आज हम पढ़ेंगे भारत के एक प्रसिद्ध कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी की प्रसिद्ध कविता वरदान माँगूँगा नहीं कविता, Vardan Mangunga Nahi Poem By Shivmangal Singh Suman, Vardan Mangunga Nahi Lyrics in hindi, Vardan Mangunga Nahi Kavita In Hindi.

वरदान माँगूँगा नहीं कविता Vardan Mangunga Nahi Poem By Shivmangal Singh Suman -:

यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं ।

वरदान माँगूँगा नहीं ।।

स्‍मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खण्डहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्‍व की सम्पत्ति चाहूँगा नहीं ।

वरदान माँगूँगा नहीं ।।

क्‍या हार में क्‍या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही ।

वरदान माँगूँगा नहीं ।।

लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं ।

वरदान माँगूँगा नहीं ।।

चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्त्तव्य पथ से किन्तु भागूँगा नहीं ।

वरदान माँगूँगा नहीं ।।

Thank you for reading कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी की प्रसिद्ध कविता वरदान माँगूँगा नहीं कविता, Vardan Mangunga Nahi Lyrics In Hindi, Vardan Mangunga Nahi Poem By Shivmangal Singh Suman, Vardan Mangunga Nahi Kavita In Hindi.

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