हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर आज हम पढ़ेंगे भारत के एक प्रसिद्ध कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी की प्रसिद्ध कविता वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो कविता, Veer Tum Badhe Chalo Poem By Dwarika Prasad Maheshwari, वीर तुम बढ़े चलो कविता, Veer Tum Badhe Chalo Kavita In Hindi.
वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो कविता, Veer Tum Badhe Chalo Poem By Dwarika Prasad Maheshwari -:
हाथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी रुके नहीं
वीर तुम बढ़े चलो।
धीर तुम बढ़े चलो।।
सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो।
धीर तुम बढ़े चलो।।
प्रात हो कि रात हो संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो।
धीर तुम बढ़े चलो।।
एक ध्वज लिये हुए एक प्रण किये हुए
मातृ भूमि के लिये पितृ भूमि के लिये
वीर तुम बढ़े चलो।
धीर तुम बढ़े चलो।।
अन्न भूमि में भरा वारि भूमि में भरा
यत्न कर निकाल लो रत्न भर निकाल लो
वीर तुम बढ़े चलो।
धीर तुम बढ़े चलो।।
Thank you for reading कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी की प्रसिद्ध कविता वीर तुम बढ़े चलो कविता, वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो कविता, Veer Tum Badhe Chalo poem by Dwarika Prasad Maheshwari, Veer Tum Badhe Chalo song lyrics in hindi.
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