हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान के अंतर्गत आज हम पढ़ेंगे Famous festivals of madhya pradesh in hindi 2024, festivals of mp in hindi, mp ke tyohar मध्य प्रदेश के प्रमुख त्यौहार, मध्य प्रदेश के पर्व, मध्य प्रदेश के उत्सव से जुड़ी हुई जानकारी।
मध्य प्रदेश के प्रमुख त्यौहार, Famous Festivals Of Madhya Pradesh In Hindi 2024 -:
भगोरिया पर्व -:
फाल्गुन माह में होली के अवसर पर रबी की फसल पकने पर मनाया जाता है। मालवा क्षेत्र के भीलो का ये एक प्रिय उत्सव है। यह मध्य प्रदेश के मालवा अंचल के आदिवासी इलाकों में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है।
मेघनाथ पर्व -:
फाल्गुन महीने के पहले पक्ष में मेघनाथ त्यौहार गोंड आदिवासियों द्वारा मनाया जाता है। मेघनाथ गोंडों के सर्वोच्च देवता हैं। कुछ स्थानों पर इस त्यौहार को खंडेरा या खट्टा नाम से भी जाना जाता है।
हरेली या हरीरी -:
हरेली उत्सव श्रावण माह की अमावस्या को मनाया जाता है। किसानों के लिए इस पर्व का विशेष महत्व है। वे इस दिन अपने कृषि उपयोग में आने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं। मंडला जिले में यह पर्व श्रावण माह की पूर्णिमा को तथा मालवा क्षेत्र में आषाढ़ के महीने में मनाया जाता है। मालवा क्षेत्र में इसे हर्यागोधा के नाम से जाना जाता है।
गंगा दशमी -:
गंगा दशमी त्यौहार ज्येष्ठ माह की दसवीं तिथि को मनाया जाता है। यह उत्सव आदिवासियों और गैर आदिवासियों द्वारा खाने, पीने और मौज करने के लिए मनाया जाने वाला उत्सव है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पृथ्वी पर गंगा का अवतरण हुआ था।
संजा व मामुलिया -:
संजा त्यौहार कुंवारी लड़कियों द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है। यह उत्सव अश्विन माह में लगातार 16 दिनों तक मनाया जाता है। लड़कियां प्रति दिन दीवार पर नई-नई आकृतियाँ बनाती हैं और सायं एकत्र होकर गीत गाती हैं।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र की लड़कियों का ऐसा ही एक पर्व है मामुलिया। किसी वृक्ष की टहनी या झाड़ी को रंगीन कुर्ता या ओढ़नी पहनाकर उसमें फूलों को उलझाया जाता है। शाम के समय लड़कियां इस डाली को गीत गाते हुए किसी नदी या जलाशय में विसर्जित कर देती हैं।
दशहरा -:
दशहरा पूरे भारत वर्ष में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। इसे विजयादशमी भी कहते हैं। इसे विजय के प्रतीक स्वरूप अर्थात् राम की रावण पर विजय के रूप में मनाते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे से घर-घर जाकर गले मिलते हैं और एक दूसरे को पान खिलाते हैं।
काकसार -:
काकसार पर्व अबूझमाड़िया आदिवासियों का एक प्रमुख पर्व है। इस उत्सव की विशेष बात यह है कि युवा लड़के-लड़कियां एक दूसरे के गांवों में नृत्य करते पहुंचते हैं। वर्षा की फसलों में जब तक बालियां नही फूटती तब तक अबूझमाड़िया स्त्री-पुरूषों का एकान्त में मिलना वर्जित होता है। काकसार उनके इस व्रत को तोड़ने का उपयुक्त अवसर होता है। काकसार में लड़के और लड़कियां अलग-अलग घरों में रात भर नाचते और आनन्द मनाते हैं। कई अविवाहित युवक-युवतियों को अपने लिए श्रेष्ठ जीवन साथी का चुनाव करने में यह पर्व सहायक सिद्ध होता है।
रतन्नवा/रसनवा -:
मंडला जिले के बैगा आदिवासियों का यह प्रमुख त्यौहार है। यह पर्व बैगा आदिवासियों के आदि पुरुष नंगा बैगा की स्मृति में मनाया जाता है इस पर्व में बैगा आदिवासी मधुमक्खियों की पूजा करते हैं।
होली -:
होली फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला एक त्यौहार है। होली का पर्व लगभग सभी हिन्दू त्यौहारों में सर्वाधिक आनंद, उमंग और मस्ती भरा त्यौहार है।
गोवर्धन पूजा -:
कार्तिक माह में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा होती है। यह पूजा गोवर्धन पर्वत और गौधन से संबंधित है। महिलाएं गोबर से गोवर्धन पर्वत और बैलों की आकृतियां बनाती हैं।
लारूकाज -:
लारुकाज गोंड आदिवासियों द्वारा नारायण देव के सम्मान में मनाया जाने वाला त्यौहार है। यह पर्व सुअर के विवाह का प्रतीक माना जाता है। इस उत्सव में सुअर की बलि दी जाती है।
मड़ई -:
मड़ई पर्व का आयोजन विशेष रूप से दक्षिण मध्य प्रदेश में किया जाता है। जहां गोंड और उनकी उपजाति रहती है। मड़ई के दौरान देवी के समक्ष बकरे की बलि दी जाती है।
गणगौर -:
भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा वाला यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। एक बार चैत्र महीने में तथा दूसरी बार भाद्रपद महीने में। यह महिलाओं का पर्व है।
भाईदूज -:
भाई दूज का त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र माह में होली के बाद तथा दूसरी बार कार्तिक माह में दीपावली के बाद। बहनें भाई को तिलक करती हैं तथा भाई बहिनों को उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
आखतीज -:
वैशाख माह का यह उत्सव विवाह का स्वरूप लिए है। कुछ स्थानों पर इसे अक्षय तृतीया भी कहते हैं।
नीरजा -:
नौ दिन तक चलने वाला यह उत्सव दशहरे के पूर्व मनाया जाता है। इस अवसर पर स्त्रियाँ मां दुर्गा की पूजा करती हैं।
घड़ल्या -:
यह मालवा क्षेत्र का प्रमुख त्यौहार है। नीरजा पर्व के नौ दिनों में ही लड़कियां घड़ल्या भी मानती हैं। अविवाहित युवक भी इसी तरह का एक उत्सव छला के रूप में मनाते हैं।
सुआरा -:
सुआरा पर्व बुंदेलखण्ड क्षेत्र का एक त्यौहार है। इस पर्व में दीवार से लगे एक चबूतरे पर एक राक्षस की प्रतिमा बैठाई जाती है। राक्षस के सिर पर शिव-पार्वती की प्रतिमाएं रखी जाती है। लड़कियां पूजा करती हैं और गीत गाती हैं।
नवान्न -:
बुंदेलखंड क्षेत्र में दीपावली के बाद नई फसल के पकने पर नवान्न पर्व मनाया जाता है।
करमा -:
करमा त्यौहार उरांव जनजाति के लोगों द्वारा मनाया जाता है। जब धान की फसल रोपने के लिए तैयार हो जाती है तब यह उत्सव मनाया जाता है और करमा नृत्य किया जाता है।
सरहुल -:
सरहुल भी उरांव जनजाति का महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस अवसर पर प्रतीकात्मक रुप से सूर्य देव और धरती माता का विवाह रचाया जाता है। अप्रैल के आरंभ में साल वृक्ष के फलने पर यह त्यौहार मनाया जाता है।
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