हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान परीक्षा की तैयारी के लिए जरूरी MP Rivers MP Waterfalls मध्य प्रदेश की नदियां, मध्य प्रदेश के जल प्रपात, मध्य प्रदेश की सिंचाई परियोजनाएं तथा मध्य प्रदेश की नदियों के किनारे बसे हुए नगर से जुड़े हुए तथ्य नीचे प्रस्तुत किए गए हैं।
मध्य प्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है। उत्तर दिशा की ओर बहने वाली मध्य प्रदेश की नदियों में चंबल, बेतवा, केन और सोन नदी प्रमुख हैं। नर्मदा, चंबल, सोन तथा ताप्ती नदी मध्य प्रदेश की चार प्रमुख और बड़ी नदियां हैं। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी तथा भारत की पांचवी सबसे बड़ी नदी है।
प्रमुख रूप से मध्य प्रदेश में सिंचाई कुओं द्वारा की जाती है। सिंचाई के द्वितीय और तृतीय स्थान पर क्रमशः नहरें और तालाब आते हैं। कुओं द्वारा सिंचाई मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में सबसे ज्यादा होती है। बालाघाट और सिवनी जिलों में तालाबों द्वारा तथा मुरैना, ग्वालियर, दतिया जिलों में नहरों द्वारा सर्वाधिक सिंचाई होती है।
मध्य प्रदेश की नदियां MP Rivers -:
नर्मदा नदी को प्राचीन काल में रेवा के नाम से भी जाना जाता था। यह अमरकंटक की पहाड़ियों से निकलती है और अरब सागर में गिरती हैं। इसकी कुल लंबाई 1312 किमी. है। जिसमे से मध्य प्रदेश में वह 1077 किमी. बहती है।
महाभारत में ताप्ती नदी को भगवान सूर्य की पुत्री बताया गया है। यह बैतूल जिले के मूलताई से निकलती है। इसकी लंबाई 724 किमी. है। यह खंभात की खाड़ी में गिरती है। पश्चिम दिशा की ओर बहने वाली नदियों में नर्मदा व ताप्ती नदियां मुख्य हैं। नर्मदा और ताप्ती नदी सागर में गिरने के बावजूद डेल्टा नहीं बनाती हैं।
वेनगंगा नदी को पुराणों में बेवा तथा दिदि के नाम से वर्णित किया गया है। यह परसवाड़ा पठार से निकलकर वर्धा नदी में मिल जाती है। वेनगंगा और वर्धा नदी का संगम प्राणहिता कहलाता है।
रामायण में सोन नदी का वर्णन सुभागधी नाम से किया गया है। इसको शोण, सुवर्ण और शोनभद्र नाम से भी जाना जाता है। इसका उद्गम अमरकंटक की पहाड़ियों से होता है। यह 780 किमी. बहती हुई बिहार में पटना के पास गंगा में जाकर मिलती है।
चंबल नदी का प्राचीन नाम चर्मावती है। मेघदूत में कालिदास ने इसका उल्लेख किया है। इसका उद्गम इंदौर के महू के निकट स्थित जानापाव पहाड़ियों से होता है। यह दक्षिण से उत्तर की ओर 1040 किमी. बहती है। पार्वती, काली सिंध, बनास आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं। यह यमुना में जाकर मिलती है। यह अवनालिका अपरदन के कारण अपने किनारों पर बड़े बड़े खड्डों का निर्माण करती है।
बेतवा नदी को मध्यप्रदेश की गंगा नदी कहा जाता है। इसको वेत्रवती के नाम से भी जाना जाता है।
क्षिप्रा नदी को मालवा की गंगा कहा जाता है। इसके किनारे ही महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।
केन नदी का प्राचीन नाम दिर्णावती नदी और शुक्तिमति है।
MP Waterfalls मध्य प्रदेश के जल प्रपात -:
मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा जल प्रपात बहुती जल प्रपात है जो रीवा में सेलर नदी पर स्थित है।
नर्मदा नदी के प्रमुख जल प्रपात हैं।
- धुआंधार जल प्रपात ( भेड़ाघाट) -: जबलपुर
- दुग्धधारा जल प्रपात -: अनूपपुर
- कपिलधारा जल प्रपात -: अनूपपुर
- सहस्त्रधारा जल प्रपात -: महेश्वर
दर्दी और मंधार जल प्रपात भी नर्मदा नदी पर ओंकारेश्वर में स्थित है।
पातालपानी जल प्रपात इंदौर के पास चंबल नदी पर स्थित है।
झाड़ीदहा जल प्रपात इंदौर के निकट चंबल नदी पर है।
डचेस फॉल जल प्रपात, रजतप्रपात और अप्सरा जल प्रपात पचमढ़ी में स्थित हैं।
भालकुंड जल प्रपात सागर जिले में बीना नदी पर स्थित है। बीना नदी बेतवा नदी की सहायक नदी है।
पांडव जल प्रपात पन्ना के निकट स्थित है।
पूर्वा जल प्रपात रीवा जिले में टौंस नदी पर स्थित है।
केवटी जल प्रपात भी रीवा में महान नदी पर स्थित है।
MP Rivers के किनारे बसे हुए नगर -:
नर्मदा नदी पर स्थित प्रमुख शहर -: अमरकंटक, जबलपुर, होशंगाबाद, मंडला, ओंकारेश्वर, महेश्वर।
चंबल नदी पर स्थित प्रमुख शहर -: महू, रतलाम, मंदसौर, श्योपुर, मुरैना।
बेतवा नदी पर विदिशा, सांची, ओरछा नगर स्थित हैं।
पचमढ़ी नगर तवा नदी के किनारे स्थित है।
क्षिप्रा नदी के किनारे पर उज्जैन बसा हुआ है।
शिवपुरी और दतिया सिंध नदी के किनारे बसे हुए हैं।
रीवा बिछिया नदी के तथा धार माही नदी के किनारे बसा हुआ है।
मध्य प्रदेश की सिंचाई परियोजनाएं -:
चंबल परियोजना मध्य प्रदेश की पहली सिंचाई परियोजना है। यह मध्य प्रदेश और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है। गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर इस परियोजना के अंतर्गत आते हैं।
नर्मदा घाटी परियोजना के अंतर्गत सरदार सरोवर, ओंकारेश्वर और इंदिरा सागर का मुख्य स्थान है। सरदार सरोवर परियोजना गुजरात में तथा इंदिरा सागर परियोजना व ओंकारेश्वर परियोजना मध्य प्रदेश में स्थित हैं।
बरगी परियोजना जबलपुर में नर्मदा नदी पर स्थित है। इस को रानी अवंती बाई सागर परियोजना भी कहा जाता है।
हलाली परियोजना को सम्राट अशोक सागर परियोजना भी कहा जाता है।
माताटीला बांध परियोजना को रानी लक्ष्मीबाई परियोजना भी कहा जाता है। यह मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना है। यह बेतवा नदी पर स्थित है।
बाण सागर परियोजना सोन नदी पर स्थित है।
जोवट परियोजना हथनी नदी पर धार जिले में स्थित है। इसे शहीद चंद्रशेखर आजाद सागर परियोजना भी कहते हैं।
पेंच परियोजना मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की संयुक्त परियोजना है।
थावर परियोजना मंडला जिले में स्थित है।
बावनथड़ी परियोजना मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की संयुक्त परियोजना है। इसे राजीव सागर परियोजना भी कहा जाता है।
केन परियोजना को ग्रेटर गंगऊ परियोजना के नाम से भी जाना जाता है। यह मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना है।
धार जिले में माही नदी पर माही परियोजना स्थित है।
भांडेर नहर सिंचाई परियोजना बेतवा नदी पर स्थित है।
ऊपरी वेनगंगा परियोजना वेनगंगा नदी पर स्थित है। इसे संजय सरोवर परियोजना भी कहते हैं।
इंदौर के पास महू तहसील में स्थित चोरल नदी परियोजना मध्य प्रदेश की पहली अंतरघाटी सिंचाई परियोजना है।
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