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Great Birsa Munda Biography In Hindi With Birsa Munda Quotes

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भारतीय इतिहास में आदिवासी समाज की दुर्दशा आज भी वही है जो वर्षों पहले थी, सदियों पहले थी। गुलामी के काल में भी भारतीय जमींदारों और जागीरदारों एवं ब्रिटिश अधिकारियों ने आदिवासी समाज को शोषण की भट्टी में झुलसाया था और आज भी सरकारें, प्रशासन, पुलिस और उद्योगपति अपने फायदे के लिए इस समाज को परेशान करते रहते हैं। भले ही आदिवासियों की सुरक्षा के लिए कानून बने हैं पर इनका पालन शायद ही किया जाता हो।

ब्रिटिश काल में आदिवासी समाज में एक ऐसे व्यक्ति ने जन्म लिया जिसने न सिर्फ शोषण के खिलाफ आवाज उठाई बल्कि इस समाज को शिक्षित करने में तथा इस समाज की कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया।

जी हां, यहां बात हो रही है लोकनायक बिरसा मुंडा की (Great Leader Birsa Munda ) ।

आइए पढ़ते हैं बिरसा मुंडा का जीवन परिचय, Birsa Munda Biography In Hindi और बिरसा मुंडा के विचार, Birsa Munda Quotes In Hindi.

“यदि हमे देश का वास्तविक विकास करना है तो, हमे सभी धर्म व् जात‍ि के लोगो को साथ लेकर चलना होगा”

बिरसा मुंडा

Birsa Munda biography in Hindi बिरसा मुंडा का जीवन परिचय -:

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को आज के झारखंड के रांची जिले के उलिहातु गांव में हुआ था। माता का नाम करमी हातू और पिता का नाम सुगना मुंडा है। इनकी शिक्षा इनके मामा के गाँव अयुभत्तु में हुई।

उनका परिवार रोजगार की तलाश में उलिहातु गांव से कुरुमब्दा आकर बस गया। जहा वो खेतो में काम करके अपना जीवन चलाते थे। उसके बाद फिर काम की तलाश में उनका परिवार बम्बा चला गया।

पढ़ाई में तेज होने के कारण इनके पिता ने इनका दाखिला चाईबासा इंग्लिश मिडिल स्कूल ( जर्मन मिशन स्कूल ) में करा दिया। स्कूल की शर्तों के अनुसार छात्र को क्रिश्चियन धर्म अपनाना होता था और इसी वजह से बिरसा मुंडा का नाम बदलकर बिरसा डेविड रख दिया गया। लेकिन कुछ ही समय बाद बिरसा मुंडा को यह समझ आ गया कि ऐसे स्कूल तो हमारी संस्कृति, हमारे धर्म और परंपराओं को खत्म कर रहे हैं। उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और इसके बाद बिरसा आनंद पांडे से जुड़े। आनंद पांडे ने उन्हें हिन्दु धर्म के बारे में बताया। उन्होंने महाभारत, रामायण का अध्यन किया। फिर बिरसा मुंडा आदिवासी समाज की कुरीतियों को दूर करने में लग गए।

महाजन, जिन्हें दिकू कहा जाता था, कर्ज के बदले में जमीन पर कब्जा जमाने लगे। अंग्रेजी हुकूमत की जमींदारी व्यवस्था हो या मिशनरियों के द्वारा धर्म परिवर्तन करना हो, सब ने आदिवासियों का शोषण किया। और इन्हीं शोषणों से परेशान होकर एक नौजवान युवक ने आदिवासियों की संस्कृति, अस्मिता एवं जंगल और जमीन को बचाने के लिए एक संग्राम छेड़ दिया। इस बिरसा मुंडा नाम के नौजवान युवक ने जल – जंगल – जमीन के लिए महाविद्रोह कर दिया। जिसे ‘ऊलगुलान’ के नाम से जाना जाता है।

इन्होंने “अबुआ दिशुम अबुआ राज” यानि “हमारा देश हमारा राज” का नारा दिया । जिससे सभी आदिवासी बिरसा मुंडा के नेतृत्व में इस शोषण के खिलाफ खड़े हो गए।

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बिरसा मुंडा ने कहा था कि –

” हमें अपनी मूल आदिवासी संस्कृति नहीं भूलनी चाहिए। “

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उनकी कहीं हुई बातें, उनके बताए हुए विचार पूरे आदिवासी समाज को एकजुट करने और अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने में मददगार साबित हुए।

उन्होंने अग्रेजों को यह कहते हुए ललकारा कि –

” ओ! गोरी चमड़ी वाले अंग्रेजों, तुम्हारा हमारे देश में क्या काम? छोटा नागपुर सदियों से हमारा है और तुम इसे हमसे छीन नहीं सकते इसलिए बेहतर है कि वापस अपने देश लौट जाओ वरना लाशों का ढेर लग जाएगा। ”

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अपने नेतृत्व में पूरे आदिवासी समाज को एकजुट करके अंग्रेजों के खिलाफ उन्होंने युद्ध की शुरुआत कर दी। लेकिन अंग्रेजों की विशाल सेना से लड़ने के लिए बिरसा मुंडा के पास न तो संख्या थी न साधन। इसलिए छापामार युद्ध का सहारा लिया गया। हजारों की संख्या में आदिवासी बिरसा मुंडा के नेतृत्व में अंग्रेजों से लड़े परन्तु तीर कमान और भालों से लड़ने वाले आदिवासी कब तक ब्रिटिश सेना की बंदूकों और तोपों का सामना कर पाते, इसलिए अंततः कई आदिवासी मारे गए परन्तु बिरसा मुंडा जीवित रहे।

अगस्त 1897 में बिरसा और उसके चार सौ सिपाहियों ने तीर कमान और भालों से लैस होकर खूंटी थाने पर धावा बोला। 1898 में तांगा नदी के किनारे मुंडाओं की भिड़ंत अंग्रेज सेनाओं से हुई जिसमें अंग्रेजी सेना हार तो गयी लेकिन इसके बदले में उस इलाके के बहुत से आदिवासी नेताओं की गिरफ़्तारियां हुईं। जनवरी 1900 में डोमबाड़ी पहाड़ी पर बिरसा अपनी जनसभा संबोधित कर रहे थे, तभी डोमबाड़ी पहाड़ी पर एक और संघर्ष हुआ, जिसमें बहुत सी औरतें और बच्चे मारे गये। बाद में बिरसा के कुछ शिष्यों की गिरफ़्तारी भी हुईं।

परन्तु जो काम ब्रिटिश सेना की बंदूक और तोप नहीं कर पाईं उसे लालच ने कर दिया। ब्रिटिश अधिकारियों ने बिरसा मुंडा को पकड़ने के लिए 500 रुपए का ईनाम घोषित कर दिया और पांच सौ रुपए के लिए बिरसा मुंडा के लोगों ने ही उसे पकड़वा दिया।

यह धरती हमारी है, हम इसके रक्षक हैं। हर अन्याय के खिलाफ उलगुलान। यही पुरखों का रास्ता है। अप्राकृतिक ताकतों के खिलाफ एकजुट हो जाओ। उठो प्रकृति ने तुम्हे जीने के लिए सभी हथियार दिये हैं। मैं सभी दिशाओ से पुकार रहा हूँ।

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ब्रिटिश सेना ने 3 मार्च 1900 को बिरसा मुंडा को चक्रधरपुर में गिरफ्तार कर लिया। ब्रिटिश अधिकारियों को यह भलीभांति ज्ञात था कि बिरसा मुंडा को फांसी देने पर संपूर्ण आदिवासी समाज उनके खिलाफ हो जाएगा और अत्यधिक शक्ति के साथ विद्रोह कर देगा। इसलिए माना जाता है कि ब्रिटिश सेना ने उनको धीमा जहर देकर उनकी हत्या की। हालांकि बताया ये गया कि उनकी मृत्यु हैजा की बीमारी की वजह से हुई है। जिस दिन उनका देहांत हुआ वह दिन था 9 जून 1900।

एक बार छोटा नागपुर में भयंकर अकाल पड़ा हुआ था तथा महामारी फैली हुई थी। उस दौरान बिरसा मुंडा ने लोगों की खूब सेवा की और महामारी को रोकने एवं इलाज के प्रति लोगों को जागरुक किया। उनकी इसी सेवा भावना को देख कर सभी आदिवासी उन्हें ‘ धरती आबा ‘ यानि ‘ धरती पिता ‘ कहकर संबोधित करने लगे।

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Birsa Munda quotes in hindi

25 साल के इस नौजवान ने जिस क्रांति का सूत्रपात किया वह आदिवासियों के साथ साथ हर नागरिक को एक प्रेरणा देती है। आज भी झारखंड, उड़ीसा, बिहार, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के आदिवासी बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजते हैं। हालांकि आज कल नेता लोग भी आदिवासी वोट बैंक की खातिर बिरसा मुंडा को याद करने लगे हैं।

बिरसा मुंडा की समाधि रांची में कोकर के निकट स्थित है। उनकी स्मृति में रांची में ही बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार और बिरसा मुंडा हवाई अड्डा भी है।

हिन्दी साहित्य की महान उपन्यासकार महाश्वेता देवी ने अपने उपन्यास ‘ जंगल के दावेदार ‘ में बिरसा मुंडा का जीवन परिचय और संघर्ष को लिखा है।

Birsa Munda Quotes In Hindi, बिरसा मुंडा के विचार -:

~ हमें अपनी मूल आदिवासी संस्कृति नहीं भूलनी चाहिए।

~ एक सैनिक का नैतिक धर्म यही होता है, देश के लिए क़ुर्बान हो जाना।

~ जितना मैं आदिवासी समाज के उत्थान के लिए चिंतित हूं, उससे दुगना समाज मेरे लिए चिंतित है।

~ यदि हमे देश का वास्तविक विकास करना है तो, हमे सभी धर्म व जात‍ि के लोगो को साथ लेकर चलना होगा।

~ ओ! गोरी चमड़ी वाले अंग्रेजों, तुम्हारा हमारे देश में क्या काम? छोटा नागपुर सदियों से हमारा है और तुम इसे हमसे छीन नहीं सकते इसलिए बेहतर है कि वापस अपने देश लौट जाओ वरना लाशों का ढेर लग जाएगा।

~ यह धरती हमारी है, हम इसके रक्षक हैं। हर अन्याय के खिलाफ उलगुलान। यही पुरखों का रास्ता है। अप्राकृतिक ताकतों के खिलाफ एकजुट हो जाओ। उठो प्रकृति ने तुम्हे जीने के लिए सभी हथियार दिये हैं। मैं सभी दिशाओ से पुकार रहा हूँ।

बिरसा मुंडा किस जनजाति के थे ?

मुंडा जनजाति

बिरसा मुंडा की पत्नी का क्या नाम था ?

बिरसा मुंडा अविवाहित थे।

बिरसा मुंडा कौन थे ?

लोकनायक बिरसा मुंडा एक क्रांतिकारी और मुंडा जनजाति के एक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी थे। और केवल 25 वर्ष की आयु में बिरसा मुंडा देश के लिए कुर्बान हो गए।

” हिन्दी ऑनलाइन जानकारी ” की तरफ से भारतवर्ष के इस महान लोकनायक बिरसा मुंडा जी को नमन और श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

जय हिन्द जय भारत

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