हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर आज हम पढ़ेंगे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के अनमोल विचार, Loknayak Jai Prakash Narayan Quotes In Hindi, जयप्रकाश नारायण के राजनीतिक विचार, Famous Quotes By Jai Prakash Narayan In Hindi, Jai Prakash Narayan Political Thought UPSC In Hindi.
लोकनायक जयप्रकाश नारायण के अनमोल विचार, Loknayak Jai Prakash Narayan Quotes In Hindi -:
~ सच्ची राजनीति मानवीय प्रसन्नता को बढ़ावा देने बारे में हैं।
~ मेरी रुचि सत्ता के कब्जे में नहीं, बल्कि लोगों द्वारा सत्ता के नियंत्रण में है।
~ ये (साम्यवाद) इस सवाल का जवाब नहीं देता कि कोई आदमी अच्छा क्यों हो ?
~ सम्पूर्ण क्रांति से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है।
~ केवल वे लोग जिन्हें लोगों पर भरोसा और आत्मविश्वास नहीं है या जो जनता का भरोसा जीतने में असमर्थ हैं, वही हिंसक रास्ते अपनाते हैं।
~ राष्ट्रीय एकता के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति धार्मिक अन्धविश्वासों से बाहर निकलकर अपने अन्दर एक बौद्धिक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करें।
~ लोकतंत्र को शांति के बिना सुरक्षित और मजबूत नहीं बनाया जा सकता। शांति और लोकतंत्र एक सिक्के के दो पहलू हैं। एक के बिना दूसरा बचा नहीं रह सकता।
~ सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल है – राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति होती है।
Quotes By Jai Prakash Narayan In Hindi -:
~ जब सत्ता बंदूक की नली से बाहर आती है और बंदूक आम लोगों के हाथों में नहीं रहती है, तब सत्ता सर्वदा अग्रिम पंक्ति वाले क्रांतिकारियों के बीच सबसे क्रूर मुट्ठीभर लोगों द्वारा हड़प ली जाती है।
~ मुझे न तो पहले विश्वास था और न अब है कि राज्य पूर्ण रूप से कभी लुप्त हो जाएगा। परन्तु मुझे यह विश्वास है कि राज्य के कार्यक्षेत्र को जहां तक सम्भव हो घटाने के प्रयास करना सबसे अच्छा उद्देश्य है।
~ एक हिंसक क्रांति हमेशा किसी न किसी तरह की तानाशाही लेकर आई है। क्रांति के बाद, धीरे-धीरे एक नया विशेषाधिकार प्राप्त शासकों एवं शोषकों का वर्ग खड़ा हो जाता है, लोग एक बार फिर जिसके अधीन हो जाते हैं।
~ अगर आप वास्तव में स्वतंत्रता, स्वाधीनता की परवाह करते हैं, तो बिना राजनीति के कोई लोकतंत्र या उदार संस्था नहीं हो सकती। राजनीति के रोग का सही मारक और अधिक तथा बेहतर राजनीति ही हो सकती है। राजनीति का निषेध नहीं।
~ राजनीतिक दलीय प्रणाली में जनता की स्थिति उन भेड़ों की तरह होती है जो निश्चित अवधि के पश्चात् अपने लिए ग्वाला चुन लेती है। ऐसी लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली में मैं उस स्वतन्त्रता के दर्शन कर नहीं पाता जिसके लिए मैंने तथा जनता ने संघर्ष किया था।
~ युवा पीढ़ी के उत्साह और आदर्शों को रचनात्मक कार्यों में प्रवृत्त करना कोई बुरी बात नहीं है,परन्तु साधन तथा साध्य के सम्बन्धों को ध्यान में रखते हुए यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि युवा पीढ़ी को क्रान्ति के लिए प्रत्येक प्रकार के साधनों को प्रयुक्त करने को अनुमति दे दी जाए।
~ भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रान्ति लाना आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं। क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए और सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति – सम्पूर्ण क्रान्ति आवश्यक है।
~ जब तक प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में राष्ट्रवाद की भावना का विकास नहीं होगा तब तक देश का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता। भारत में सांस्कृतिक एकता होते हुए भी राजनीतिक एकता का अभाव है। भारत में ब्रिटिश शासन द्वारा सम्पूर्ण भारतीय प्रदेश पर अधिकार करने के बाद ही एक सरकार के अन्तर्गत राष्ट्रीय एकता का उदय हुआ है।
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