हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर आज हम पढ़ेंगे लाल बहादुर शास्त्री के विचार, Lal Bahadur Shastri Quotes In Hindi, Motivational Quotes By Lal Bahadur Shastri In Hindi, लाल बहादुर शास्त्री के अनमोल विचार।
Lal Bahadur Shastri Quotes In Hindi
लाल बहादुर शास्त्री जी एक महान व्यक्तित्व थे। उनका कद भले ही छोटा था लेकिन उनका जीवन सच्चे आदर्शों से भरा हुआ महासागर की तरह विशाल। लाल बहादुर शास्त्री जी एक साफ-सुथरी छवि वाले, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति थे जिन्होंने अपना सारा जीवन देश और समाज की सेवा में अर्पित किया। वह भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रहे।
Famous Quotes Of Lal Bahadur Shastri -:
~ अनुशासन और एकता ही किसी देश की ताकत होती है।
लाल बहादुर शास्त्री
~ आज़ादी की रक्षा केवल सैनिकों का काम नहीं है। पूरे देश को मजबूत होना होगा।
लाल बहादुर शास्त्री
~ लोगों को सच्चा लोकतंत्र और स्वराज कभी भी हिंसा और असत्य से प्राप्त नहीं हो सकता।
लाल बहादुर शास्त्री
~ हमारी ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है। – लोगों में एकता स्थापित करना।
लाल बहादुर शास्त्री
~ हम सिर्फ खुद के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की शांति, विकास और कल्याण में विश्वास रखते हैं।
लाल बहादुर शास्त्री
~ यदि कोई व्यक्ति हमारे देश में अछूत कहा जाता है तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा।
लाल बहादुर शास्त्री
~ देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाय गरीबी, बिमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा।
लाल बहादुर शास्त्री
~ हर कार्य की अपनी एक गरिमा है और हर कार्य को अपनी पूरी क्षमता से करने में ही संतोष प्राप्त होता है।
लाल बहादुर शास्त्री
~ आर्थिक मुद्दे हमारे लिए सबसे जरूरी हैं, जिससे हम अपने सबसे बड़े दुश्मन ‘ गरीबी ‘ और ‘ बेरोजगारी ‘ से लड़ सकें।
लाल बहादुर शास्त्री
~ जो शासन करते हैं, उन्हे देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं। अंततः जनता ही मुखिया होती है।
लाल बहादुर शास्त्री
~ मैं हमेशा अपने मन में दूसरों को ऐसी सलाह देने में असहज महसूस करता रहा हूँ, जिस पर मैं खुद अमल नहीं कर रहा होता।
लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री के विचार
~ कानून का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे और हमारा लोकतंत्र भी मजबूत बने।
लाल बहादुर शास्त्री
~ मेरी समझ से प्रशासन का मूल विचार यह है कि समाज को एकजुट रखा जाये ताकि वह विकास कर सके और अपने लक्ष्यों की तरफ बढ़ सके।
लाल बहादुर शास्त्री
~ देश के प्रति निष्ठा सभी निष्ठाओं से पहले आती है और यह पूर्ण निष्ठा है क्योंकि इसमें कोई प्रतीक्षा नहीं कर सकता कि बदले में उसे क्या मिलता है।
लाल बहादुर शास्त्री
~ हम उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के अंत के लिए पूर्ण समर्थन देना अपना नैतिक कर्तव्य समझेंगे, ताकि हर जगह लोग अपने भाग्यनिर्माण के लिए स्वतंत्र हों।
लाल बहादुर शास्त्री
~ उसकी जाति, रंग या नस्ल जो भी हो, हम एक व्यक्ति के रूप में मनुष्य की गरिमा में और उसके बेहतर, संपूर्ण और समृद्ध जीवन के लिए उसके अधिकार पर विश्वास करते हैं।
लाल बहादुर शास्त्री
~ दोनों देशों की आम जनता की समस्याएं, आशाएं और आकांक्षाएं एक समान है। उन्हे लड़ाई – झगड़ा और गोला – बारूद नहीं , बल्कि रोटी, कपड़ा और मकान की आवश्यकता है।
लाल बहादुर शास्त्री
~ इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे पास बड़ी परियोजनाएं, बड़े उद्योग, बुनियादी उद्योग हैं, लेकिन यह सबसे महत्वपूर्ण है कि हम आम आदमी को देखें, जो समाज का सबसे कमजोर तत्व है।
लाल बहादुर शास्त्री
~ हमारा रास्ता सीधा और स्पष्ट है। अपने देश में सबके लिए स्वतंत्रता और संपन्नता के साथ समाजवादी लोकतंत्र की स्थापना और अन्य सभी देशों के साथ विश्व शांति और मित्रता का संबंध रखना।
लाल बहादुर शास्त्री
~ भ्रष्टाचार को पकड़ना बहुत कठिन काम है लेकिन मैं पूरे जोर के साथ कहता हूं कि यदि हम इस समस्या से गंभीरता और दृढ़ संकल्प के साथ नहीं निपटते हैं तो हम अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने में असफल होंगे।
लाल बहादुर शास्त्री
~ जब स्वतंत्रता और अखंडता खतरे में हो, तो पूरी शक्ति से उस चुनौती का मुकाबला करना ही एकमात्र कर्तव्य होता है। हमें एक साथ मिलकर किसी भी प्रकार के अपेक्षित बलिदान के लिए दृढ़तापूर्वक तत्पर रहना है।
लाल बहादुर शास्त्री
~ यदि पाकिस्तान का हमारे देश के किसी भी हिस्से को हड़पने का इरादा है, तो उसे नए सिरे से सोचना चाहिए। मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ कि बल का बल से सामना होगा और हमारे खिलाफ़ आक्रामकता कभी भी सफ़ल नहीं होने दी जायेगी।
लाल बहादुर शास्त्री
~ विज्ञान और वैज्ञानिक कार्यों में सफलता असीमित या बड़े संसाधनों का प्रावधान करने से नहीं मिलती बल्कि यह समस्याओं और उद्दश्यों को बुद्धिमानी और सतर्कता से चुनने से मिलती है और सबसे बढ़कर जो चीज चाहिए वो है निरंतर कठोर परिश्रम।
लाल बहादुर शास्त्री
~ हम सभी को अपने – अपने क्षेत्रों में उसी समर्पण, उसी उत्साह और उसी संकल्प तथा उसी भावना के साथ काम करना होगा जो रणभूमि में एक योद्धा को प्रेरित और उत्साहित करती है। और यह सिर्फ बोलना नहीं है, बल्कि वास्तविकता में कर के दिखाना है।
लाल बहादुर शास्त्री
~ हमारे देश की अनोखी बात यह है कि हमारे यहाँ हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी और अन्य सभी धर्मों के लोग रहते हैं। हमारे यहाँ मंदिर और मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च हैं। लेकिन हम यह सब राजनीति में नहीं लाते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच यही अंतर है।
लाल बहादुर शास्त्री
~ हम भले ही अपने देश की आजादी चाहते हैं, लेकिन उसके लिए ना ही हम किसी का शोषण करेंगे और ना ही दूसरे देशों को नीचा दिखाएंगे। मैं अपने देश की स्वतंत्रता कुछ इस प्रकार चाहता हूं कि दूसरे देश उससे कुछ सीख सकें और देश के संसाधनों को मानवता के लाभ के लिए प्रयोग में ले सकें।
लाल बहादुर शास्त्री
~ यदि मैं एक तानाशाह होता तो धर्म और राष्ट्र अलग – अलग होते। मैं धर्म के लिए जान तक दे दूंगा, लेकिन यह मेरा निजी मामला है राज्य का इससे कुछ लेना देना नहीं है। राष्ट्र धर्म – निरपेक्ष, कल्याण, स्वास्थ्य, संसार, विदेशी संबंधों, मुद्रा इत्यादि का ध्यान रखेगा। लेकिन मेरे या आपके धर्म का नहीं, वो सबका निजी मामला है।
लाल बहादुर शास्त्री
~ मुझे ग्रामीण क्षेत्रों में एक मामूली कार्यकर्ता के रूप में लगभग पचास वर्ष तक कार्य करना पड़ा है, इसलिए मेरा ध्यान स्वत: ही उन लोगों की ओर तथा उन क्षेत्रों के हालात पर चला जाता है। मेरे दिमाग में यह बात आती है कि सर्वप्रथम उन लोगों को राहत दी जाए । हर रोज हर समय मैं यही सोचता हूं कि उन्हे किस प्रकार से राहत पहुंचाई जाए।
लाल बहादुर शास्त्री
~ हर राष्ट्र के जीवन में एक समय आता है जब वह इतिहास के क्रॉस-रोड पर खड़ा होता है और उसे चुनना होता है कि किस रास्ते पर जाना है। लेकिन हमारे लिए कोई कठिनाई या झिझक की आवश्यकता नहीं है, कोई दाईं या बाईं ओर नहीं है। हमारा रास्ता सीधा और स्पष्ट है – सभी के लिए स्वतंत्रता और समृद्धि के साथ-साथ एक समाजवादी लोकतंत्र का निर्माण, और विश्व के सभी देशों के साथ शांति और दोस्ती।
लाल बहादुर शास्त्री
Lal Bahadur Shastri Biography In Hindi
लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म एक बहुत ही साधारण परिवार में 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ।
इनकी माता का नाम रामदुलारी श्रीवास्तव और पिता का नाम मुंशी-शारदाप्रसाद श्रीवास्तव था। मात्र 18 महीने की आयु पर ही इनसे इनके पिता का साया छूट गया। इतनी कम उम्र में पिता के देहांत के बाद इन की परवरिश मां के आंचल में हुई। अपने पति के देहांत के बाद इनकी माता ने भी अपने तीन बच्चों के साथ अपने ननिहाल मिर्जापुर आना ठीक समझा। जिससे लाल बहादुर शास्त्री जी की प्राथमिक शिक्षा उनके ननिहाल में ही हुई। शिक्षा में निपुण होने के कारण इन्होंने अपनी उच्च स्तरीय शिक्षा काशी विद्यापीठ से ग्रहण की, जहां से उन्होंने संस्कृत में स्नातक की उपाधि ली।
संस्कृत में स्नातक की उपाधि को “शास्त्री” कहा जाता है और यही वजह है कि लाल बहादुर शास्त्री जी ने अपने नाम के पीछे से अपनी जाति “श्रीवास्तव” को हटाकर “शास्त्री” का इस्तेमाल किया क्योंकि उन्हे जातिवाद से बहुत नफरत थी।
सन् 1927 में इनका विवाह मिर्जापुर की ललिता जी से हुआ। इनकी 6 संतानें पैदा हुई जिनमें से दो पुत्रियां और 4 पुत्र हुए।
Lal Bahadur Shastri Political Life
लाल बहादुर शास्त्री जी ने स्वाधीनता संग्राम में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई और कई बार जेल भी गए। इनके राजनीतिक पथ-प्रदर्शक महात्मा गांधी, पुरुषोत्तम दास टंडन, गोविंद बल्लभ पंत और जवाहरलाल नेहरू थे तथा इनके ऊपर गांधीवादी विचारों का काफी प्रभाव था।
स्वतंत्रता के बाद लाल बहादुर शास्त्री जी को उत्तर प्रदेश सरकार में श्री गोविंद बल्लभ पंत के मुख्यमंत्री रहते हुए इन्हें पुलिस एवं परिवहन मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। इन्होंने अपने कार्यकाल में लाठीचार्ज की जगह पानी की बौछार का उपयोग करने का निर्णय लिया। इनका मानना था कि अपने ही देशवासियों के प्रति लाठीचार्ज का इस्तेमाल बहुत ही निंदनीय कार्य है, अंग्रेजों की गुलामी के समय भी देशवासियों पर लाठियां बरसाई गई और अब जब कि देश स्वतंत्र हो चुका है तब भी लाठीचार्ज का उपयोग उसी गुलामी की याद दिलाएगा। इसलिए इनके द्वारा पानी की बौछार का उपयोग करने का निर्णय लिया गया। इनके इस उपयोग की काफी सराहना हुई।
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में जब इन्हें रेल मंत्री बनाया गया तब देश में हुई एक रेल दुर्घटना में बहुत जान माल का नुकसान हुआ, जिसकी जिम्मेदारी स्वयं अपने ऊपर लेते हुए रेल मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। तब प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए संसद में कहा कि मैं सिर्फ इसलिए यह इस्तीफा स्वीकार नहीं कर रहा हूं कि लाल बहादुर शास्त्री जी इस घटना के जिम्मेदार हैं, बल्कि यह इस्तीफा इसलिए स्वीकार कर रहा हूं क्योंकि इससे संवैधानिक मर्यादा में एक मिसाल कायम होगी हम राजनेताओं की जनता के प्रति एक जवाबदेही होगी। तब संसद में लाल बहादुर शास्त्री जी के इस कार्य की बहुत प्रशंसा हुई थी।
Lal Bahadur Shastri Prime Minister
सन् 1962 में प्रधानमंत्री जवाहलाल नेहरू के कार्यकाल में भारत- चीन के युद्ध के दौरान देश की काफी क्षति हुई थी। भारत अभी तक उस क्षति से बाहर भी नहीं आ पाया था तभी 27 मई 1964 के दिन जवाहरलाल नेहरू जी का देहांत हो गया।
तब सदन के सबसे बड़े राजनीतिक दल कांग्रेस ने एक ईमानदार और साफ सुथरी छवि वाले वरिष्ठ नेता लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री पद के लिए अपना नेता चुना।
भारत-चीन के युद्ध के समय में हुई क्षति, नए प्रधानमंत्री और भारत में बढ़ती हुई खाद्य कीमतों को देखते हुए पाकिस्तान ने इस घटनाक्रम का फायदा उठाने की कोशिश की और सन् 1965 में भारत के साथ युद्ध की घोषणा कर दी। लाल बहादुर शास्त्री जी को अभी कुछ ही समय हुआ था प्रधानमंत्री पद संभाले हुए परन्तु प्रधानमंत्री जी ने अपनी पूर्ण कर्तव्य निष्ठा से अपने पद का कार्यभार संभाला और भारतीय सेना को पूर्ण आजादी देते हुए कहा कि देश की सुरक्षा करना आपको बेहतर आता है इसलिए आप हम लोगों को बताइए कि हम इस युद्ध में भारतीय सेना की किस प्रकार मदद कर सकते हैं।
इस युद्ध में पाकिस्तान की बुरी तरह हार हुई, भारतीय सेना ने पाकिस्तान की जमीन पर काफी अंदर तक के क्षेत्र पर अतिक्रमण कर लिया। लेकिन पाकिस्तान के कहने पर सोवियत संघ (रूस) और अमेरिका द्वारा की गई मिलीभगत ने युद्ध शांत करवा दिया।
Lal Bahadur Shastri Famous Slogan
भारत- पाकिस्तान युद्ध के दौरान ही देश में अनाज का संकट भी पैदा हो गया जिससे देश में खाद्यान्न की कीमतें बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। तब अमेरिका ने कुछ शर्तों के साथ मदद की पेशकश की तब शास्त्री जी ने इस शर्तनुमा मदद को लेने से मना कर दिया और इस संकट से निपटने के लिए उन्होंने एक अलग उपाय किया।
लाल बहादुर शास्त्री जी ने पहले अपने पूरे परिवार को 1 दिन का उपवास रखवाया और उन्होंने देखा कि परिवार के किसी भी सदस्य को इस उपवास से कोई तकलीफ नहीं हुई और जब उन्हें इस बात पर पूर्ण भरोसा हो गया कि 1 दिन की भूख बर्दाश्त की जा सकती है तब ही उन्होंने पूरे देश से 1 दिन का उपवास का रखने का आह्वान किया। और भारत देश ने भी उनके इस भरोसे पर पूरा साथ दिया। और देश का हर नागरिक इस क्रांति में शामिल हो गया और 1 दिन का उपवास रखना शुरू कर दिया।
इसी दौरान लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा दिया।
Lal Bahadur Shastri Death
भारत-पाकिस्तान के युद्ध की समाप्ति के बाद सोवियत संघ ने समझौते के लिए दोनों देशों को ताशकंद बुलवाया। तब समझौते के दौरान कई सारी शर्तें रखी गई। लाल बहादुर शास्त्री जी को सभी शर्तें मंजूर थी सिवाय एक के। वो पाकिस्तान से जीती हुई जमीन वापिस नहीं देना चाहते थे लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाकर शास्त्री जी से समझौते पर हस्ताक्षर करवा लिए गए तब शास्त्री जी ने कहा था कि यह जमीन पाकिस्तान को कोई दूसरा प्रधानमंत्री ही लौटाएगा।
ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर 11 जनवरी 1966 को हस्ताक्षर करने के कुछ देर बाद ही रात में संदिग्ध परिस्थिति में उनकी मृत्यु हो गई। अभी भी यह चर्चा का विषय है कि लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु हृदय-आघात या फिर जहर देने से हुई थी।
शास्त्री जी की अंत्येष्टि दिल्ली में यमुना नदी के किनारे पर हुई, इनके अंत्येष्टि स्थल को विजय घाट के नाम से जाना जाता है।
इन्हें 1966 में मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा गया।
जय हिन्द जय भारत JAI HIND JAI BHARAT
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