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हिन्दी ऑनलाइन जानकारी की ओर से आप सभी पाठकों को हिंदी दिवस 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं।
लगा रहे प्रेम हिन्दी में, पढूँ हिन्दी लिखूँ हिन्दी
चलन हिन्दी चलूँ, हिन्दी पहरना, ओढना खाना।
भवन में रोशनी मेरे रहे हिन्दी चिरागों की
स्वदेशी ही रहे बाजा, बजाना, राग का गाना।
राम प्रसाद बिस्मिल जी द्वारा लिखित उक्त पंक्तियां हम हिंदीभाषी लोगों का हिन्दी के प्रति प्रेम को भलीभांति प्रदर्शित करती हैं।
हिन्दी हमारी, आपकी और हम सब की भाषा है। आज हिंदी भाषा हर विषय में, हर क्षेत्र में अपना ध्वज फहराते हुए आगे बढ़ती जा रही है। चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो या इंटरनेट की दुनिया, सब जगह हिंदी का बोलबाला है। और इस बात के लिए हम सब अपनी पीठ थपथपा सकते हैं क्योंकि किसी भाषा के आगे बढ़ने में उस भाषा को बोलने वाले, लिखने वाले, पढ़ने वाले लोगों का योगदान होता है।
हिन्दी दिवस 2022 के शुभ अवसर पर हिन्दी भाषा के लिए लिखी हुईं कुछ प्रसिद्ध कविताएं ( Hindi Divas poems, Hindi Diwas 2022 ) हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर आप सभी के लिए।
Famous Hindi Divas poems 2022 हिन्दी दिवस 2022 पर कविताएं -:
मृणालिनी घुले जी द्वारा हिन्दी भाषा के लिए लिखित प्रसिद्ध कविता -: Hindi Divas poems 2022
संस्कृत की एक लाड़ली बेटी है ये हिन्दी।
बहनों को साथ लेकर चलती है ये हिन्दी।
सुंदर है, मनोरम है, मीठी है, सरल है,
ओजस्विनी है और अनूठी है ये हिन्दी।
पाथेय है, प्रवास में, परिचय का सूत्र है,
मैत्री को जोड़ने की सांकल है ये हिन्दी।
पढ़ने व पढ़ाने में सहज है, ये सुगम है,
साहित्य का असीम सागर है ये हिन्दी।
तुलसी, कबीर, मीरा ने इसमें ही लिखा है,
कवि सूर के सागर की गागर है ये हिन्दी।
वागेश्वरी का माथे पर वरदहस्त है,
निश्चय ही वंदनीय मां-सम है ये हिंदी।
अंग्रेजी से भी इसका कोई बैर नहीं है,
उसको भी अपनेपन से लुभाती है ये हिन्दी।
यूं तो देश में कई भाषाएं और हैं,
पर राष्ट्र के माथे की बिंदी है ये हिन्दी।
अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा लिखित दो प्रमुख कविताएं -: Hindi Divas poems 2022
1.
बनने चली विश्व भाषा जो,
अपने घर में दासी,
सिंहासन पर अंग्रेजी है,
लखकर दुनिया हांसी,
लखकर दुनिया हांसी,
हिन्दी दां बनते चपरासी,
अफसर सारे अंग्रेजी मय,
अवधी या मद्रासी,
कह कैदी कविराय,
विश्व की चिंता छोड़ो,
पहले घर में,
अंग्रेजी के गढ़ को तोड़ो
2.
गूंजी हिन्दी विश्व में
गूंजी हिन्दी विश्व में,
स्वप्न हुआ साकार;
राष्ट्र संघ के मंच से,
हिन्दी का जयकार;
हिन्दी का जयकार,
हिन्दी हिन्दी में बोला;
देख स्वभाषा-प्रेम,
विश्व अचरज से डोला;
कह कैदी कविराय,
मेम की माया टूटी;
भारत माता धन्य,
स्नेह की सरिता फूटी!
गिरिजा कुमार माथुर जी की लिखी हुई कविता -: Hindi Divas poems 2022
एक डोर में सबको जो है बांधती
वह हिंदी है
हर भाषा को सगी बहन जो मानती
वह हिंदी है।
भरी-पूरी हों सभी बोलियां
यही कामना हिंदी है,
गहरी हो पहचान आपसी
यही साधना हिंदी है,
सौत विदेशी रहे न रानी
यही भावना हिंदी है,
तत्सम, तद्भव, देशी, विदेशी
सब रंगों को अपनाती
जैसे आप बोलना चाहें
वही मधुर, वह मन भाती
नए अर्थ के रूप धारती
हर प्रदेश की माटी पर,
‘खाली-पीली बोम मारती’
मुंबई की चौपाटी पर,
चौरंगी से चली नवेली
प्रीती-पियासी हिंदी है,
बहुत बहुत तुम हमको लगती
‘भालो-बाशी’ हिंदी है।
उच्च वर्ग की प्रिय अंग्रेजी
हिंदी जन की बोली है,
वर्ग भेद को ख़त्म करेगी
हिंदी वह हमजोली है,
सागर में मिलती धाराएं
हिंदी सबकी संगम है,
शब्द, नाद, लिपि से भी आगे
एक भरोसा अनुपम है,
गंगा-कावेरी की धारा
साथ मिलाती हिंदी है.
पूरब-पश्चिम,कमल-पंखुड़ी
सेतु बनाती हिंदी है।
सुनील जोगी जी द्वारा लिखित कविता -: Hindi Divas poems 2022
हिंदी हमारी आन है हिंदी हमारी शान है
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
हिंदी हमारी वर्तनी हिंदी हमारा व्याकरण
हिंदी हमारी संस्कृति हिंदी हमारा आचरण
हिंदी हमारी वेदना हिंदी हमारा गान है।
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
हिंदी हमारी आत्मा है भावना का साज़ है
हिंदी हमारे देश की हर तोतली आवाज़ है
हिंदी हमारी अस्मिता हिंदी हमारा मान है।
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
हिंदी निराला, प्रेमचंद की लेखनी का गान है
हिंदी में बच्चन, पंत, दिनकर का मधुर संगीत है
हिंदी में तुलसी, सूर, मीरा जायसी की तान है।
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
जब तक गगन में चांद, सूरज की लगी बिंदी रहे
तब तक वतन की राष्ट्रभाषा ये अमर हिंदी रहे
हिंदी हमारा शब्द, स्वर व्यंजन अमिट पहचान है।
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी द्वारा लिखित कविता -: Hindi Divas poems 2022
पड़ने लगती है पियूष की शिर पर धारा।
हो जाता है रुचिर ज्योति मय लोचन-तारा।
बर बिनोद की लहर हृदय में है लहराती।
कुछ बिजली सी दौड़ सब नसों में है जाती।
आते ही मुख पर अति सुखद जिसका पावन नामही।
इक्कीस कोटि-जन-पूजिता हिन्दी भाषा है वही।
मैथिली शरण गुप्त जी द्वारा लिखित कविता -: Hindi Divas poems 2022
करो अपनी भाषा पर प्यार ।
जिसके बिना मूक रहते तुम, रुकते सब व्यवहार ।।
जिसमें पुत्र पिता कहता है, पतनी प्राणाधार,
और प्रकट करते हो जिसमें तुम निज निखिल विचार ।
बढ़ायो बस उसका विस्तार ।
करो अपनी भाषा पर प्यार ।।
भाषा विना व्यर्थ ही जाता ईश्वरीय भी ज्ञान,
सब दानों से बहुत बड़ा है ईश्वर का यह दान ।
असंख्यक हैं इसके उपकार ।
करो अपनी भाषा पर प्यार ।।
यही पूर्वजों का देती है तुमको ज्ञान-प्रसाद,
और तुमहारा भी भविष्य को देगी शुभ संवाद ।
बनाओ इसे गले का हार ।
करो अपनी भाषा पर प्यार ।।
दिविशा तनेजा जी द्वारा लिखित कविता -: Hindi Divas poems 2022
वैसे तो हर वर्ष बजता है नगाड़ा,
नाम लूँ तो नाम है हिंदी पखवाड़ा।
हिंदी हैं हम, वतन है हिन्दुस्तान हमारा,
कितना अच्छा व कितना प्यारा है ये नारा।
हिंदी में बात करें तो मूर्ख समझे जाते हैं।
अंग्रेजी में बात करें तो जैंटलमेल हो जाते।
अंग्रेजी का हम पर असर हो गया।
हिंदी का मुश्किल सफ़र हो गया।
देसी घी आजकल बटर हो गया,
चाकू भी आजकल कटर हो गया।
अब मैं आपसे इज़ाज़त चाहती हूँ,
हिंदी की सबसे हिफाज़त चाहती हूँ।।
शम्भुनाथ तिवारी जी द्वारा लिखित कविता -: Hindi Diwas poems 2022
भारत की गौरव-गरिमा का, गान बने हिंदी भाषा,
अंतरराष्ट्रीय मान और, सम्मान बने हिंदी भाषा।
स्वाभिमान-सद्भाव जगाती,संस्कृति की परिभाषा हिंदी,
बने विश्व की भाषा हिंदी, हम सब की अभिलाषा हिंदी।
गाँधीजी का सपना ही था, ऐसा हिंदुस्तान बने,
जाति-धर्म से ऊपर हिंदी, भारत की पहचान बने।
सर्वमान्य भाषा बनकर हो, पूरित जन की आशा हिंदी।
बने विश्व की भाषा हिंदी, हम सब की अभिलाषा हिंदी।
दुनिया भर की भाषाओं का, हिंदी में अनुवाद करें,
हम सब मिलकर विश्वमंच पर, हिंदी में संवाद करें।
निजभाषा-साहित्य-सृजन का, भाव जगाए भाषा हिंदी।
बने विश्व की भाषा हिंदी, हम सब की अभिलाषा हिंदी।
अन्य सभी चर्चित भाषाओं, सा ही प्यार-दुलार मिले,
विश्वपटल पर हिंदी को भी, न्यायोचित अधिकार मिले।
पूरे हों संकल्प सभी के,जन-गण-मन-अभिलाषा हिंदी।
बने विश्व की भाषा हिंदी, हम सब की अभिलाषा हिंदी।
हिंदी का सारी भाषाओं, से, रिश्ता है, नाता है,
भारतवंशी कहीं रहे, पर, हिंदी में इठलाता है।
समता-स्नेह-समन्वय का, संदेश बने जनभाषा हिंदी।
बने विश्व की भाषा हिंदी, हम सब की अभिलाषा हिंदी।
हिंदुस्तान बिना हिंदी के, अर्थहीन है, रीता है,
देश हमारा हिंदी में, सांसें ले-लेकर जीता है।
है स्वर्णिम भविष्य की सुंदर, मोहक-मधुर दिलाशा हिंदी।
बने विश्व की भाषा हिंदी, हम सब की अभिलाषा हिंदी।।
संजय जोशी ‘सजग’ जी द्वारा लिखित दो प्रमुख कविताएं -: Hindi Diwas poems 2022
1.
हम सबकी प्यारी,
लगती सबसे न्यारी।
कश्मीर से कन्याकुमारी,
राष्ट्रभाषा हमारी।।
साहित्य की फुलवारी,
सरल-सुबोध पर है भारी।
अंग्रेजी से जंग जारी,
सम्मान की है अधिकारी।।
जन-जन की हो दुलारी,
हिन्दी ही पहचान हमारी।।
2.
राष्ट्रभाषा की व्यथा।
दु:खभरी इसकी गाथा।।
क्षेत्रीयता से ग्रस्त है।
राजनीति से त्रस्त है।।
हिन्दी का होता अपमान।
घटता है भारत का मान।।
हिन्दी दिवस पर्व है।
इस पर हमें गर्व है।।
सम्मानित हो राष्ट्रभाषा।
सबकी यही अभिलाषा।।
सदा मने हिन्दी दिवस।
शपथ लें मने पूरे बरस।।
स्वार्थ को छोड़ना होगा।
हिन्दी से नाता जोड़ना होगा।।
हिन्दी का करे कोई अपमान।
कड़ी सजा का हो प्रावधान।।
हम सबकी यह पुकार।
सजग हो हिन्दी के लिए सरकार।।
सुधा गोयल जी द्वारा लिखित कविता -: Hindi Diwas Par Kavita 2022
हिन्दी मेरे रोम-रोम में,
हिन्दी में मैं समाई हूँ,
हिन्दी की मैं पूजा करती,
हिन्दोस्तान की जाई हूँ।।
सबसे सुन्दर भाषा हिन्दी,
ज्यों दुल्हन के माथे बिन्दी,
सूर, जायसी, तुलसी कवियों की,
सरित-लेखनी से बही हिन्दी।।
हिन्दी से पहचान हमारी,
बढ़ती इससे शान हमारी,
माँ की कोख से जाना जिसको,
माँ,बहना, सखि-सहेली हिन्दी।।
निज भाषा पर गर्व जो करते,
छू लेते आसमाँ न डरते,
शत-शत प्रणाम सब उनको करते,
स्वाभिमान…..अभिमान है हिन्दी।।
हिन्दी मेरे रोम-रोम में,
हिन्दी में मैं समाई हूँ,
हिन्दी की मैं पूजा करती,
हिन्दोस्तान की जाई हूँ।।
देवमणि पांडेय जी द्वारा लिखित कविता -: Hindi Diwas Par Kavita 2022
हिंदी इस देश का गौरव है,
हिंदी भविष्य की आशा है।
हिंदी हर दिल की धड़कन है, हिंदी जनता की भाषा है।
इसको कबीर ने अपनाया
मीराबाई ने मान दिया।
आज़ादी के दीवानों ने
इस हिंदी को सम्मान दिया।
जन जन ने अपनी वाणी से हिंदी का रूप तराशा है।
हिंदी हर क्षेत्र में आगे है
इसको अपनाकर नाम करें।
हम देशभक्त कहलाएंगे
जब हिंदी में सब काम करें।
हिंदी चरित्र है भारत का, नैतिकता की परिभाषा है।
हिंदी हम सब की ख़ुशहाली
हिंदी विकास की रेखा है।
हिंदी में ही इस धरती ने
हर ख़्वाब सुनहरा देखा है।
हिंदी हम सबका स्वाभिमान, यह जनता की अभिलाषा है।
भारतेंदु हरिश्चंद्र जी द्वारा लिखित कविता -: Hindi Diwas Par Poem 2022
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
अंग्रेज़ी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन
पै निज भाषाज्ञान बिन, रहत हीन के हीन।।
उन्नति पूरी है तबहिं जब घर उन्नति होय
निज शरीर उन्नति किये, रहत मूढ़ सब कोय।।
निज भाषा उन्नति बिना, कबहुँ न ह्यैहैं सोय
लाख उपाय अनेक यों भले करो किन कोय।।
इक भाषा इक जीव इक मति सब घर के लोग
तबै बनत है सबन सों, मिटत मूढ़ता सोग।।
और एक अति लाभ यह, या में प्रगट लखात
निज भाषा में कीजिए, जो विद्या की बात।।
तेहि सुनि पावै लाभ सब, बात सुनै जो कोय
यह गुन भाषा और महं, कबहूं नाहीं होय।।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।।
भारत में सब भिन्न अति, ताहीं सों उत्पात
विविध देस मतहू विविध, भाषा विविध लखात।।
सब मिल तासों छाँड़ि कै, दूजे और उपाय
उन्नति भाषा की करहु, अहो भ्रातगन आय।।
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हिंदी दिवस कब मनाया जाता है ?
हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है।
14 सितंबर को हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है ?
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था। हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को प्रत्येक वर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
विश्व हिंदी दिवस कब मनाया जाता है ?
विश्व हिंदी दिवस प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है।
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गर्व करें कि आप हिंदीभाषी हैं।
हिन्दी दिवस 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं।
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