Bhagwan Mahavir Jayanti 2024 : भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। उनका जन्म ईसा पूर्व 599 वर्ष माना जाता है। उनके पिता राजा सिद्धार्थ और माता रानी त्रिशला थीं और बचपन में उनका नाम वर्द्धमान था। 30 वर्ष की आयु में राजसी सुखों का त्याग करके तप का आचरण किया। 12 साल 6 महीने के कठोर तप से इन्होंने अपनी इच्छाओं और विकारों पर नियंत्रण पा लिया और कैवल्य की प्राप्ति की। इस कठोर तप को करने के कारण वर्धमान महावीर कहलाए।
महावीर जयंती जैन समुदाय का विशेष पर्व होता है। Mahavir Jayanti को भगवान महावीर स्वामी के जन्म के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
Lord Mahavir Jayanti 2024 : भगवान महावीर के प्रसिद्ध विचार
जीव हत्या ना करें, किसी को ठेस न पहुंचाएं। अहिंसा ही सबसे महान धर्म है।
मन, वाणी और शरीर से संपूर्ण संयम में रहने का सार ही ब्रह्मचर्य है।
जिस तरह से आपको दुःख अच्छा नहीं लगता है, उसी तरह दूसरे लोग भी इसे पसंद नहीं करते हैं। अत: आपको दूसरों के साथ वह नहीं करना चाहिए जो आप दूसरे लोगों से अपने साथ नहीं होने देना चाहते।
हर एक जीवित जीवधारी के प्रति दयाभाव रखो, क्योंकि नफरत और घृणा करने से विनाश होता है।
केवल सत्य ही इस संसार का सार है।
किसी भी जीवित प्राणी को मारना नहीं चाहिए और ना ही उस पर शासन करने का प्रयत्न करना चाहिए।
वो जो सत्य जानने में मदद कर सके, चंचल मन को नियंत्रित कर सके और आत्मा को शुद्ध कर सके उसे ज्ञान कहते हैं।
किसी भी व्यक्ति के अस्तित्व को मिटाने की बजाय उसे शांति से जीने दो और खुद भी शांति से जीने की कोशिश करो। तभी आपका कल्याण होगा।
खुद से लड़ो, बाहर के शत्रुओं से क्या लड़ना। वह व्यक्ति जो खुद पर विजय प्राप्त कर लेता है उसे ही आनंद की प्राप्ति होती है।
अगर हमने कभी किसी के लिए अच्छा काम किया है तो उसे भूल जाएं और अगर किसी ने आपके साथ कुछ बुरा किया है तो उसे भी भूल जाना चाहिए।
ईश्वर का अलग से कोई भी अस्तित्व नहीं है। हर कोई व्यक्ति देवदत्त प्राप्त कर सकता है अगर वह सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास करें तो।
आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असली रूप को न पहचान पाना है। अपने असली रूप की पहचान केवल आत्म ज्ञान प्राप्त करने के बाद ही हो सकती है।
जैसे आग को ईंधन से नहीं बुझाया जा सकता बिल्कुल उसी प्रकार जीवित व्यक्ति तीनों लोको की सारी धन दौलत पाकर भी संतुष्ट नहीं हो सकता।
व्यक्ति की आत्मा ही उसकी शत्रु होती है। आपका असली शत्रु आपके भीतर ही है जो कि क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत है।
मनुष्य अपने स्वंय के दोष की वजह से ही दुखी होता है और इसलिए खुद अपनी गलती में सुधार करके ही स्वंय को प्रसन्न कर सकते हैं।
आत्मा अकेले आती है और अकेले ही चली जाती है। न कोई साथ आता है और न ही कोई आत्मा का मित्र होता है।
Lord Mahavir Jayanti 2024 : जगत के तारक भगवान महावीर को कोटि-कोटि वंदन, भगवान महावीर जयंती 2024 की शुभकामनाएं
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