अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, International yoga day, योग दर्शन के बारे में, Yog darshan kya hota hai, Yog darshan ke pratipadak kaun hai ?

Yog Darshan – International Yoga Day 2024

हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2024 / International yoga day 2024 के अवसर पर हम संक्षिप्त रुप में जानेंगे योग दर्शन के बारे में। Yog darshan kya hota hai, Yog darshan ke pratipadak kaun hai ?

Yog Darshan – International Yoga Day -:

योग –:

भारत में योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम होता है। इसका अभ्यास बिना किसी भेदभाव के किसी भी धर्म, जाति या लिंग के व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है।

योग दर्शन –:

योग दर्शन, भारतीय धार्मिक और दार्शनिक परंपरा में से एक है, जिसका मूल उद्देश्य व्यक्ति की मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक और आदर्श जीवन की सामर्थ्य को बढ़ावा देना है। योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के युज धातु से हुई है, जिसके दो अर्थ हैं – एक अर्थ है; जोड़ना और दूसरा अर्थ है – अनुशासन। योग द्वारा व्यक्ति अपने मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक प्रकृति के साथ मिल जाता है और उन्हें अपने सच्चे सामर्थ्य की पहचान करने का अवसर मिलता है।

योग दर्शन के प्रणेता महर्षि पतंजलि हैं। योग दर्शन छः आस्तिक दर्शनों ( षड्दर्शन ) में से एक है। इस दर्शन का पहला ग्रंथ योग सूत्र है। योग दर्शन को सेश्वर सांख्य या ईश्वरवादी सांख्य भी कहते हैं। क्योंकि जीवन और जगत के संबंध में यह सांख्य की लगभग सभी मान्यताओं को स्वीकारता है। साथ ही, यह ईश्वर के अस्तित्व को भी स्वीकारता है। योग दर्शन में ईश्वर को एक विशिष्ट पुरुष बताया गया है जो क्लेश, कर्म, परिणाम, आदर्श, संस्कार आदि से अप्रभावित रहता है। उसका कार्य मुक्ति प्रदान करना नहीं, बल्कि केवल साधक के मार्ग से विघ्न बाधाओं को दूर करना है। भगवत गीता को भी योग शास्त्र अर्थात् योग की नियमावली कहा जाता है।

योग शास्त्र में योग का अर्थ है – समाधि। महर्षि पतंजलि के अनुसार, योग चित्तवृत्तियों का निरोध है। योग का उद्देश्य आत्मा के यथार्थ स्वरूप की प्राप्ति है। योग दर्शन के अनुसार, चित्तवृत्ति का आशय है कि चित्त द्वारा विषयों का आकार ग्रहण करना। चित्त की पाँच वृत्तियाँ हैं – प्रमाण ( सत्य ज्ञान ), विपर्यय ( मिथ्या ज्ञान ), विकल्प ( कल्पना ), निद्रा तथा स्मृति। प्रमाण के तीन भेद हैं – प्रत्यक्ष, अनुमान तथा शब्द। किसी वस्तु के संबंध में मिथ्या ज्ञान को विपर्यय कहते हैं। विकल्प केवल कल्पना है। निद्रा से तात्पर्य मन के विकार से है। स्मृति भूतकाल के अनुभवों की मानसिक प्रतीति है। ये चित्तवृत्तियां ही बंधन का कारण है।

योग दर्शन में आष्टांगिक मार्ग का पालन करने पर जोर दिया गया है।

  1. यम :- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह।
  2. नियम :- शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर का ध्यान करना।
  3. आसन :- पद्मासन, वीरासन, भद्रासन आदि। इससे व्यक्ति को स्थिरता और सुख की प्राप्ति होती है।
  4. प्राणायाम :- श्वास आदि की गति के नियंत्रण को प्राणायाम कहा गया है। इसके 3 प्रकार हैं – पूरक, कुंभक और रेचक।
  5. प्रत्याहार :- इंद्रियों को बाह्य विषयों से हटाकर मन को वश में रखना प्रत्याहार है।
  6. धारणा :- बाह्य या आंतरिक किसी भी विषय में चित्त को बांध देना या लगा देना धारणा है।
  7. ध्यान :- चित्त की एकाग्रता ही ध्यान है।
  8. समाधि :- यह आष्टांगिक मार्ग की अंतिम अवस्था है। इस अवस्था में पुरुष की चित्तवृत्तियों का पूर्ण निरोध हो जाता है। तथा वह प्रकृति के संपर्क से पृथक होकर अपने मूल स्वर में स्थिर हो जाता है।

भारत में विभिन्न प्रकार के योग विद्याओं को विकसित किया गया है। प्रमुख योग दर्शन हैं :

  • पतञ्जलि योग : महर्षि पतञ्जलि ने ‘योग सूत्र’ के माध्यम से योग के आठ अंगों का विवेचन किया है – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। इन अंगों का पालन करके व्यक्ति मानसिक और आध्यात्मिक विकास प्राप्त करता है।
  • भक्ति योग : इस योग में भक्ति और देवता की उपासना के माध्यम से आत्मा को परमात्मा से मिलाना सिखाया जाता है।
  • ज्ञान योग : इस योग में ज्ञान के माध्यम से आत्मा की पहचान होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • कर्म योग : इस योग में कर्मों को निष्काम भाव से किया जाता है, जिससे आत्मा का शुद्धिकरण होता है।
  • हठ योग : इस योग में शारीरिक अभ्यास और तपस्या के माध्यम से आत्मा को परमात्मा के साथ एकीकृत करने का प्रयास किया जाता है।

योग विभिन्न शैलियों में प्रदर्शित हो सकता है, जैसे कि हाथ-पैर की आसनों का अभ्यास करने वाला हठ योग, मन को नियंत्रित करने की कला पर जोर देने वाला राज योग, और भगवान की उपासना में पूरी श्रद्धा रखने वाला भक्ति योग आदि।

योग दर्शन मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और सुधारने का मार्ग प्रदान करता है और एक स्वस्थ, समृद्ध और परमात्मा के साथ एकीकृत जीवन की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन करता है।

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