हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर आज हम पढ़ेंगे आर्य समाज के संस्थापक महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती के अनमोल वचन, Swami Dayanand Saraswati Quotes In Hindi.
Swami Dayanand Saraswati Quotes In Hindi, महर्षि दयानंद सरस्वती के विचार -:
~ वेदों की ओर लौटो।
~ लोभ कभी समाप्त न होने वाला रोग है।
~ आत्मा एक है, लेकिन उसके अस्तित्व अनेक हैं।
~ जीभ से वही निकलना चाहिए जो अपने हृदय में हैं।
~ अज्ञानी होना गलत नहीं है। अज्ञानी बने रहना गलत है।
~ मनुष्य को दिया गया सबसे बड़ा संगीत वाद्य, उसकी आवाज है।
~ मानव जीवन में लोगों के दुखों का मूल कारण ‘तृष्णा’ और ‘लालसा’ होती है।
~ कोई भी मूल्य तब मूल्यवान है जब उस मूल्य का मूल्य किसी के लिए मूल्यवान हो।
~ पूरी तरह से अंधविश्वासी होने के बजाय वर्तमान जीवन में कर्म अधिक महत्वपूर्ण हैं।
~ दुनिया को आप अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिए, आपके पास भी सर्वश्रेष्ठ ही लौट कर आएगा।
Motivational Quotes By Swami Dayanand Saraswati In Hindi -:
~ आर्य समाज की स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य संसार के लोगों का उपकार करना है।
~ लोग कहते हैं कि वे समझते हैं कि मैं क्या कहता हूं और मैं सरल हूं। मैं सरल नहीं हूँ, मैं स्पष्ट हूं।
~ सेवा का उच्चतम रूप एक ऐसे व्यक्ति की मदद करना है, जो बदले में धन्यवाद देने में असमर्थ है।
~ मनुष्य की विद्या उसका अस्त्र, धर्म उसका रथ, सत्य उसका सारथी और भक्ति रथ के घोङे होते हैं।
~ गीत व्यक्ति के मर्म का आह्वान करने में मदद करता है। और बिना गीत के, मर्म को छूना मुश्किल है।
~ वेद सभी सत्य विधाओं की किताब है, वेदों को पढना-पढाना, सुनना-सुनाना सभी आर्यों का परम धर्म है।
~ लालच वह अवगुण होता है, जो प्रत्येक दिन बढ़ता ही जाता है । जब तक इंसान का पतन नहीं हो जाता है।
~ अहंकार इंसान की वह स्थिति है, जिसमें वह अपने मूल कर्तव्यों को भूलकर विनाश की ओर चला जाता है।
~ सबसे श्रेष्ठ किस्म की सेवा ऐसे व्यक्ति की मदद करना है जो बदले में आपको धन्यवाद कहने में भी असमर्थ हो।
~ एक इंसान को अपने नश्वर शरीर के बजाय ईश्वर से प्रेम करना चाहिए और सत्य और धर्म से प्यार करना चाहिए।
~ अगर आप पर हमेशा ऊँगली उठाई जाती रहे तो आप भावनात्मक रूप से अधिक समय तक खड़े नहीं हो सकते।
~ लाभ बुराइयों को दूर करता है, सदाचार की प्रथा को पेश करता है, और समाज कल्याण और सभ्यता को जोड़ता है।
~ लोगों को कभी भी चित्रों की पूजा नहीं करनी चाहिए। मानसिक अंधकार का प्रसार मूर्तिपूजा के प्रचलन के कारण है।
~ हमें पता होना चाहिए कि भाग्य भी कमाया जाता है थोपा नहीं जा सकता। और ऐसी कोई कृपा नहीं है जो कमाई ना जा सके।
~ लोगों को कभी भी तस्वीरों की पूजा पाठ नही करनी चाहिए, मानसिक अन्धकार का फैलाव मूर्ति पूजा के प्रचलन की वजह से है।
~ मोक्ष पीड़ा सहने और जन्म – मृत्यु की अधीनता से मुक्ति है, और यह भगवान की अपारता में स्वतंत्रता और प्रसन्नता का जीवन है।
~ जो व्यक्ति सबसे कम ग्रहण करता है और सबसे अधिक योगदान देता है वह परिपक्व है, क्योंकि देने में ही आत्म-विकास निहित है।
~ उपकार बुराइयों को दूर करता है, सदाचार की आदत को प्रारंभ करता है, और समाज कल्याण और सभ्यता को संपादित करता है।
Famous Quotes Of Swami Dayanand Saraswati In Hindi -:
~ नुकसान से निपटने में सबसे जरूरी चीज है, उससे मिलने वाली सीख को कभी ना भूलना। यही चीज आपको सही मायने में विजेता बनाएगी।
~ ईश्वर का न तो रूप है और न ही रंग। वह दिव्य और अपार है। दुनिया में जो कुछ भी दिखाई दे रहा है वह उसकी महानता का वर्णन करता है।
~ इंसान के आचरण की नींव संस्कार होती है, जितना गहरा इंसान का संस्कार होगा। उतना ही मजबूत उसका कर्तव्य ,धर्म ,सत्य और न्याय होगा।
~ किसी भी रूप में प्रार्थना प्रभावी है क्योंकि यह एक क्रिया है। इसलिए इसका परिणाम होगा। यह इस ब्रह्मांड का नियम है जिसमें हम खुद को पाते हैं।
~ वो अच्छा और बुद्धिमान है जो हमेशा सच बोलता है, पुण्य के कामों पर काम करता है, और दूसरों को अच्छा और खुश करने की कोशिश करता है।
~ इंसान को किसी से भी ईर्ष्या नही करनी चाहिए, क्योंकि ईर्ष्या इंसान को अंदर ही अंदर जलाती रहती है, और पथ से भटकाकर पथ को भ्रष्ट कर देती है।
~ आप दूसरों को बदलना चाहते हैं ताकि आप आजाद हो सकें। लेकिन यह कभी उस तरह से काम नहीं करता है। दूसरों को स्वीकार करें और आप स्वतंत्र हैं।
~ जो ताकतवर होकर कमजोर लोगों की मदद करता है, वही वास्तविक मनुष्य कहलाता है, ताकत के अहंकार में कमजोर का शोषण करने वाला तो पशु की श्रेणी में आता है।
~ किसी भी कार्य को करने से पहले सोचना अक्लमंदी होती है और काम को करते हुए सोचना सावधानी कहलाती है, लेकिन काम को करने के बाद सोचना मूर्खता कहलाती है।
~ कोई भी मानव हृदय सहानुभूति से वंचित नहीं है। कोई धर्म उसे सिखा-पढ़ा कर नष्ट नहीं कर सकता। कोई संस्कृति, कोई राष्ट्र, कोई राष्ट्रवाद – कोई भी उसे छू नहीं सकता। क्योंकि ये सहानुभूति है।
~ जब एक इंसान अपने क्रोध पर विजय हासिल कर लेता है, अपने काम को काबू में कर लेता है, यश की इच्छा को त्याग देता है, मोह माया से दूर चला जाता है। तब उसके अंदर अदभुत शक्तियां आ जाती हैं।
~ मुझे सत्य का पालन करना पसंद है। बल्कि, मैंने औरों को उनके अपने भले के लिए सत्य से प्रेम करने और मिथ्या को त्यागने के लिए राजी करने को अपना कर्त्तव्य बना लिया है। अतः अधर्म का अंत मेरे जीवन का उदेश्य है।
~ जीवन में मृत्यु को टाला नहीं जा सकता। हर कोई ये जानता है, फिर भी अधिकतर लोग अन्दर से इसे नहीं मानते – ‘ये मेरे साथ नहीं होगा’। इसी कारण से मृत्यु सबसे कठिन चुनौती है जिसका मनुष्य को सामना करना पड़ता है।
~ ईश्वर पूर्ण रूप से पवित्र और बुद्धिमान है। उसकी प्रकृति, गुण और शक्तियां सभी पवित्र हैं। वह सर्वव्यापी, निराकार, अजन्मा, अपार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिशाली, दयालु और न्याययुक्त है। वह दुनिया का रचनाकार, रक्षक और संघारक है।
~ छात्र की योग्यता ज्ञान अर्जित करने के प्रति उसके प्रेम, निर्देश पाने की उसकी इच्छा, ज्ञानी और अच्छे व्यक्तियों के प्रति सम्मान, गुरु की सेवा और उनके आदेशों का पालन करने में दिखती है। क्योंकि मनुष्यों के भीतर संवेदना है, इसलिए अगर वो उन तक नहीं पहुँचता जिन्हें देखभाल की ज़रुरत है तो वो प्राकृतिक व्यवस्था का उल्लंघन करता है।
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