संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, sant kabir das ke vichar

100 + Famous Sant Kabir Das Ke Dohe In Hindi

हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर पर आज हम पढ़ेंगे महान संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, संत कबीर के दोहे, Kabir Ke Dohe In Hindi, संत कबीर दास के विचार, Sant Kabir Das Thoughts in hindi, Famous Quotes By Sant Kabir Das In Hindi, Famous Dohe Of Kabir Das In Hindi, संत कबीर दास के अनमोल वचन, sant kabir das ke vichar.

Sant Kabir Das ke Dohe in hindi संत कबीर दास के दोहे -:

संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, sant kabir das ke vichar
संत कबीर दास के दोहे, Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, Kabir Ke Dohe In Hindi

गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय॥

माटी कहे कुमार से, तू क्या रोंदे मोहे।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदुंगी तोहे।।

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगो कब।।

पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।।

साईं इतना दीजिये, जामे कुटुंब समाये।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधू न भूखा जाए।।

संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, sant kabir das ke vichar
संत कबीर दास के दोहे, Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das ke vichar, Kabir Ke Dohe In Hindi

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब।।

दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय।।

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

मन मैला तन ऊजला बगुला कपटी अंग।
तासों तो कौआ भला तन मन एकही रंग।।

जाती न पूछो साधू की, पूछ लीजिये ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ा रहने दो म्यान।।

जीवत कोय समुझै नहीं, मुवा न कह संदेश।
तन – मन से परिचय नहीं, ताको क्या उपदेश।।

संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, sant kabir das ke vichar
संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, Kabir Ke Dohe In Hindi

कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर।
ना काहू से दोस्ती,न काहू से बैर।।

कबीर लहरि समंद की, मोती बिखरे आई।
बगुला भेद न जानई, हंसा चुनी-चुनी खाई।।

जब गुण को गाहक मिले, तब गुण लाख बिकाई।
जब गुण को गाहक नहीं, तब कौड़ी बदले जाई।।

नहाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाए।
मीन सदा जल में रहे, धोये बास न जाए।।

कुटिल वचन सबतें बुरा, जारि करै सब छार।
साधु वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार।।

जैसा भोजन खाइये , तैसा ही मन होय।
जैसा पानी पीजिये, तैसी वाणी होय।।

यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान।
शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।।

सब धरती काजग करू, लेखनी सब वनराज।
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाए।।

माखी गुड में गडी रहे, पंख रहे लिपटाए।
हाथ मेल और सर धुनें, लालच बुरी बलाय।।

Sant Kabir Das Quotes In Hindi -:

संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, sant kabir das ke vichar
संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das ke vichar, sant kabir das quotes, Kabir Ke Dohe In Hindi

ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोये।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए।।

बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर।।

निंदक नियेरे राखिये, आँगन कुटी छावायें।
बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुहाए।।

पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात।
देखत ही छुप जाएगा है, ज्यों सारा परभात।।

चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोये।
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए।।

मलिन आवत देख के, कलियन कहे पुकार।
फूले फूले चुन लिए, कलि हमारी बार।।

तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय।
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।।

संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, sant kabir das ke vichar, kabir das dohe in hindi
संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, Kabir Ke Dohe In Hindi

अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।।

ज्यों तिल माहि तेल है, ज्यों चकमक में आग।
तेरा साईं तुझ ही में है, जाग सके तो जाग।।

जहाँ दया तहा धर्म है, जहाँ लोभ वहां पाप।
जहाँ क्रोध तहा काल है, जहाँ क्षमा वहां आप।।

जो घट प्रेम न संचारे, जो घट जान सामान।
जैसे खाल लुहार की, सांस लेत बिनु प्राण।।

बन्दे तू कर बन्दगी, तो पावै दीदार।
औसर मानुष जन्म का, बहुरि न बारम्बार।।

बार-बार तोसों कहा, सुन रे मनुवा नीच।
बनजारे का बैल ज्यों, पैडा माही मीच।।

जल में बसे कमोदनी, चंदा बसे आकाश।
जो है जा को भावना सो ताहि के पास।।

जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होए।
यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोए।।

ते दिन गए अकारथ ही, संगत भई न संग।
प्रेम बिना पशु जीवन, भक्ति बिना भगवंत।।

संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, sant kabir das ke vichar, kabir das dohe in hindi
संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, Kabir Ke Dohe In Hindi

तीरथ गए से एक फल, संत मिले फल चार।
सतगुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार।।

तन को जोगी सब करे, मन को विरला कोय।
सहजे सब विधि पाइए, जो मन जोगी होए।।

प्रेम न बारी उपजे, प्रेम न हाट बिकाए।
राजा प्रजा जो ही रुचे, सिस दे ही ले जाए।।

जिन घर साधू न पुजिये, घर की सेवा नाही।
ते घर मरघट जानिए, भुत बसे तिन माही।।

साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहै थोथा देई उडाय।।

पाछे दिन पाछे गए हरी से किया न हेत।
अब पछताए होत क्या, चिडिया चुग गई खेत।।

संत कबीर दास के विचार -:

संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, sant kabir das ke vichar, kabir das dohe in hindi
संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, Kabir Ke Dohe In Hindi

जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाही।
सब अँधियारा मिट गया, दीपक देखा माही।।

प्रेम पियाला जो पिए, सिस दक्षिणा देय।
लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय।।

कबीरा सोई पीर है, जो जाने पर पीर।
जो पर पीर न जानही, सो का पीर में पीर।।

कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर।।

कबीर सुता क्या करे, जागी न जपे मुरारी।
एक दिन तू भी सोवेगा, लम्बे पाँव पसारी।।

नहीं शीतल है चंद्रमा, हिम नहीं शीतल होय।
कबीर शीतल संत जन, नाम सनेही होय।।

जिही जिवरी से जाग बँधा, तु जनी बँधे कबीर।
जासी आटा लौन ज्यों, सों समान शरीर।।

प्रेम न बाडी उपजे प्रेम न हाट बिकाई।
राजा परजा जेहि रुचे सीस देहि ले जाई।।

राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय।
जो सुख साधू संग में, सो बैकुंठ न होय।।

शीलवंत सबसे बड़ा सब रतनन की खान।
तीन लोक की सम्पदा, रही शील में आन।।

संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, sant kabir das ke vichar, kabir das dohe in hindi
संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, Kabir Ke Dohe In Hindi

लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट।
पाछे फिर पछ्ताओगे, प्राण जाहि जब छूट।।

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।।

माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर।।

मांगन मरण समान है, मत मांगो कोई भीख।
मांगन से मरना भला, ये सतगुरु की सीख।।

ज्यों नैनन में पुतली, त्यों मालिक घर माँहि।
मूरख लोग न जानिए , बाहर ढूँढत जाहिं।।

कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये।
ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये।।

जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ।
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।।

दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त।
अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत।।

कहत सुनत सब दिन गए, उरझि न सुरझ्या मन।
कही कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन।।

दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार।
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार।।

Read More -:

Famous Dohe Of Kabir Das In Hindi -:

संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, sant kabir das ke vichar, kabir das dohe in hindi
संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, Kabir Ke Dohe In Hindi

बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि।
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।।

हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना।
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना।।

संत ना छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंत।
चन्दन भुवंगा बैठिया, तऊ सीतलता न तजंत।।

माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।।

कबीर कहा गरबियो, काल गहे कर केस।
ना जाने कहाँ मारिसी, कै घर कै परदेस।।

हाड़ जलै ज्यूं लाकड़ी, केस जलै ज्यूं घास।
सब तन जलता देखि करि, भया कबीर उदास।।

जो उग्या सो अन्तबै, फूल्या सो कुमलाहीं।
जो चिनिया सो ढही पड़े, जो आया सो जाहीं।।

झूठे सुख को सुख कहे, मानत है मन मोद।
खलक चबैना काल का, कुछ मुंह में कुछ गोद।।

ऐसा कोई ना मिले, हमको दे उपदेस।
भौ सागर में डूबता, कर गहि काढै केस।।

संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, sant kabir das ke vichar, kabir das dohe in hindi
संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, Kabir Ke Dohe In Hindi

कबीर तन पंछी भया, जहां मन तहां उडी जाइ।
जो जैसी संगती कर, सो तैसा ही फल पाइ।।

कबीर सो धन संचे, जो आगे को होय।
सीस चढ़ाए पोटली, ले जात न देख्यो कोय।।

मन हीं मनोरथ छांड़ी दे, तेरा किया न होई।
पानी में घिव निकसे, तो रूखा खाए न कोई।।

हरिया जांणे रूखड़ा, उस पाणी का नेह।
सूका काठ न जानई, कबहूँ बरसा मेंह।।

झिरमिर- झिरमिर बरसिया, पाहन ऊपर मेंह।
माटी गलि सैजल भई, पांहन बोही तेह।।

कबीर थोड़ा जीवना, मांड़े बहुत मंड़ाण।
कबीर थोड़ा जीवना, मांड़े बहुत मंड़ाण।।

इक दिन ऐसा होइगा, सब सूं पड़े बिछोह।
राजा राणा छत्रपति, सावधान किन होय।।

कबीर प्रेम न चक्खिया,चक्खि न लिया साव।
सूने घर का पाहुना, ज्यूं आया त्यूं जाव।।

मान, महातम, प्रेम रस, गरवा तण गुण नेह।
ए सबही अहला गया, जबहीं कह्या कुछ देह।।

जाता है सो जाण दे, तेरी दसा न जाइ।
खेवटिया की नांव ज्यूं, घने मिलेंगे आइ।।

यह तन काचा कुम्भ है,लिया फिरे था साथ।
ढबका लागा फूटिगा, कछू न आया हाथ।।

मैं मैं बड़ी बलाय है, सकै तो निकसी भागि।
कब लग राखौं हे सखी, रूई लपेटी आगि।।

संत कबीर दास के अनमोल वचन -:

संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, sant kabir das ke vichar, kabir das dohe in hindi
संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, Kabir Ke Dohe In Hindi

कबीर बादल प्रेम का, हम पर बरसा आई।
अंतरि भीगी आतमा, हरी भई बनराई।।

जिहि घट प्रेम न प्रीति रस, पुनि रसना नहीं नाम।
ते नर या संसार में , उपजी भए बेकाम।।

लंबा मारग दूरि घर, बिकट पंथ बहु मार।
कहौ संतों क्यूं पाइए, दुर्लभ हरि दीदार।।

इस तन का दीवा करों, बाती मेल्यूं जीव।
लोही सींचौं तेल ज्यूं, कब मुख देखों पीव।।

नैना अंतर आव तू, ज्यूं हौं नैन झंपेउ।
ना हौं देखूं और को न तुझ देखन देऊँ।।

कबीर रेख सिन्दूर की काजल दिया न जाई।
नैनूं रमैया रमि रहा दूजा कहाँ समाई।।

कबीर सीप समंद की, रटे पियास पियास।
समुदहि तिनका करि गिने, स्वाति बूँद की आस।।

सातों सबद जू बाजते घरि घरि होते राग।
ते मंदिर खाली परे बैसन लागे काग।।

कबीर कहा गरबियौ, ऊंचे देखि अवास।
काल्हि परयौ भू लेटना ऊपरि जामे घास।।

जांमण मरण बिचारि करि कूड़े काम निबारि।
जिनि पंथूं तुझ चालणा सोई पंथ संवारि।।

बिन रखवाले बाहिरा चिड़िये खाया खेत।
आधा परधा ऊबरै, चेती सकै तो चेत।।

कबीर देवल ढहि पड्या ईंट भई सेंवार।
करी चिजारा सौं प्रीतड़ी ज्यूं ढहे न दूजी बार।।

मन जाणे सब बात जांणत ही औगुन करै।
काहे की कुसलात कर दीपक कूंवै पड़े।।

हिरदा भीतर आरसी मुख देखा नहीं जाई।
मुख तो तौ परि देखिए जे मन की दुविधा जाई।।

करता था तो क्यूं रहया, जब करि क्यूं पछिताय।
बोये पेड़ बबूल का, अम्ब कहाँ ते खाय।।

झूठे को झूठा मिले, दूंणा बंधे सनेह।
झूठे को साँचा मिले तब ही टूटे नेह।।

करता केरे गुन बहुत औगुन कोई नाहिं।
जे दिल खोजों आपना, सब औगुन मुझ माहिं।।

कबीर चन्दन के निडै नींव भी चन्दन होइ।
बूडा बंस बड़ाइता यों जिनी बूड़े कोइ।।

मूरख संग न कीजिए ,लोहा जल न तिराई।
कदली सीप भावनग मुख, एक बूँद तिहूँ भाई।।

कबीर संगति साध की , कड़े न निर्फल होई।
चन्दन होसी बावना , नीब न कहसी कोई।।

जानि बूझि साँचहि तजै, करै झूठ सूं नेह।
ताकी संगति रामजी, सुपिनै ही जिनि देहु।।

मन मरया ममता मुई, जहं गई सब छूटी।
जोगी था सो रमि गया, आसणि रही बिभूति।।

तरवर तास बिलम्बिए, बारह मांस फलंत।
सीतल छाया गहर फल, पंछी केलि करंत।।

काची काया मन अथिर थिर थिर काम करंत।
ज्यूं ज्यूं नर निधड़क फिरै त्यूं त्यूं काल हसन्त।।

तू कहता कागद की लेखी मैं कहता आँखिन की देखी।
मैं कहता सुरझावन हारि, तू राख्यौ उरझाई रे।।

मन के हारे हार है मन के जीते जीत।
कहे कबीर हरि पाइए मन ही की परतीत।।

पढ़ी पढ़ी के पत्थर भया लिख लिख भया जू ईंट।
कहें कबीरा प्रेम की लगी न एको छींट।।

Kabir Ke Dohe In Hindi संत कबीर के दोहे -:

संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, sant kabir das quotes in hindi, sant kabir das ke vichar, kabir das dohe in hindi
संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, Kabir Ke Dohe In Hindi

साधु भूखा भाव का धन का भूखा नाहीं।
धन का भूखा जो फिरै सो तो साधु नाहीं।।

पढ़े गुनै सीखै सुनै मिटी न संसै सूल।
कहै कबीर कासों कहूं ये ही दुःख का मूल।।

कबीर हमारा कोई नहीं हम काहू के नाहिं।
पारै पहुंचे नाव ज्यौं मिलिके बिछुरी जाहिं।।

देह धरे का दंड है सब काहू को होय।
ज्ञानी भुगते ज्ञान से अज्ञानी भुगते रोय।।

कहते को कही जान दे, गुरु की सीख तू लेय।
साकट जन औश्वान को, फेरि जवाब न देय।।

कबीर तहाँ न जाइये, जहाँ जो कुल को हेत।
साधुपनो जाने नहीं, नाम बाप को लेत।।

कबीर तहाँ न जाइये, जहाँ सिध्द को गाँव।
स्वामी कहै न बैठना, फिर-फिर पूछै नाँव।।

इष्ट मिले अरु मन मिले, मिले सकल रस रीति।
कहैं कबीर तहँ जाइये, यह सन्तन की प्रीति।।

कबीर संगी साधु का, दल आया भरपूर।
इन्द्रिन को तब बाँधीया, या तन किया धर।।

कहैं कबीर देय तू, जब लग तेरी देह।
देह खेह होय जायगी, कौन कहेगा देह।।

देह खेह होय जायगी, कौन कहेगा देह।
निश्चय कर उपकार ही, जीवन का फन येह।।

या दुनिया दो रोज की, मत कर यासो हेत।
गुरु चरनन चित लाइये, जो पुराण सुख हेत।।

गारी ही से उपजै, कलह कष्ट औ मीच।
हारि चले सो सन्त है, लागि मरै सो नीच।।

बहते को मत बहन दो, कर गहि एचहु ठौर।
कह्यो सुन्यो मानै नहीं, शब्द कहो दुइ और।।

बनिजारे के बैल ज्यों, भरमि फिर्यो चहुँदेश।
खाँड़ लादी भुस खात है, बिन सतगुरु उपदेश।।

हीरा परखै जौहरी शब्दहि परखै साध।
कबीर परखै साध को ताका मता अगाध।।

एकही बार परखिये ना वा बारम्बार।
बालू तो हू किरकिरी जो छानै सौ बार।।

पतिबरता मैली भली गले कांच की पोत।
सब सखियाँ में यों दिपै ज्यों सूरज की जोत।।

गाँठी होय सो हाथ कर, हाथ होय सो देह।
आगे हाट न बानिया, लेना होय सो लेह।।

धर्म किये धन ना घटे, नदी न घट्ट नीर।
अपनी आखों देखिले, यों कथि कहहिं कबीर।।

कबीर मंदिर लाख का, जडियां हीरे लालि।
दिवस चारि का पेषणा, बिनस जाएगा कालि।।

कबीर यह तनु जात है सकै तो लेहू बहोरि।
नंगे हाथूं ते गए जिनके लाख करोडि।।

हू तन तो सब बन भया करम भए कुहांडि।
आप आप कूँ काटि है, कहै कबीर बिचारि।।

तेरा संगी कोई नहीं सब स्वारथ बंधी लोइ।
मन परतीति न उपजै, जीव बेसास न होइ।।

मैं मैं मेरी जिनी करै, मेरी सूल बिनास।
मेरी पग का पैषणा मेरी गल की पास।।

कबीर नाव जर्जरी कूड़े खेवनहार।
हलके हलके तिरि गए बूड़े तिनि सर भार।।

ज्ञान रतन का जतन कर, माटी का संसार।
हाय कबीरा फिर गया, फीका है संसार।।

आये है तो जायेंगे, राजा रंक फ़कीर।
इक सिंहासन चढी चले, इक बंधे जंजीर।।

ऊँचे कुल का जनमिया, करनी ऊँची न होय।
सुवर्ण कलश सुरा भरा, साधू निंदा होय।।

रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय।
हीरा जन्म अमोल सा, कोड़ी बदले जाय।।

कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति न होय।
भक्ति करे कोई सुरमा, जाती बरन कुल खोए।।

कागा का को धन हरे, कोयल का को देय।
मीठे वचन सुना के, जग अपना कर लेय।।

Thank you for reading महान संत कबीर दास के दोहे, Famous Sant Kabir Das ke Dohe in hindi, संत कबीर के दोहे, Famous Quotes By Sant Kabir Das In Hindi, Famous Dohe Of Kabir Das In Hindi, संत कबीर दास के अनमोल वचन, sant kabir das quotes in hindi, संत कबीर दास के विचार, Sant Kabir Das Thoughts in hindi, sant kabir das ke vichar.

अन्य लेख -:

Please do follow -: Telegram Channel

Leave a Reply