हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर आज हम पढ़ेंगे Famous Amrita Pritam Poems, Shayari, Quotes, Poetry In Hindi, अमृता प्रीतम की कविताएँ, रचनाएँ, शायरी.
Famous Amrita Pritam Poems in Hindi, अमृता प्रीतम की कविताएँ -:
~ ज़िन्दगी तुम्हारे उसी गुण का इम्तिहान लेती है,
जो तुम्हारे भीतर मौजूद है मेरे अन्दर इश्क़ था।।
~ धरती का दिल धड़क रहा है
सुना है आज
टहनियों के घर फूल मेहमान हुए हैं
~ ज़िंदगी का अब गम नही
इस आग को संभाल ले।
तेरे हाथ की खैर मांगती हूँ
अब और सिगरेट जला ले।।
~ मर्द ने औरत के साथ अभी तक सोना ही सीखा है,
जागना नहीं।
इसीलिए मर्द और औरत का रिश्ता
उलझन का शिकार रहता है।
~ उम्र के काग़ज़ पर –
तेरे इश्क़ ने अँगूठा लगाया,
हिसाब कौन चुकायेगा !
~ तुम मिले
तो कई जन्म मेरी नब्ज़ में धड़के
तो मेरी साँसों ने तुम्हारी साँसों का घूँट पिया
तब मस्तक में कई काल पलट गए।
~ तेरे इश्क के हाथ से छूट गयी
और जिन्दगी की हन्डिया टूट गयी
इतिहास का मेहमान
मेरे चौके से भूखा उठ गया
~ स्त्री तो ख़ुद डूब जाने को तैयार रहती है,
समंदर अगर उसकी पसन्द का हो।
~ जिसने अँधेरे के अलावा कभी कुछ नहीं बुना
वह मुहब्बत आज किरणें बुनकर दे गयी।
अमृता प्रीतम की रचनाएँ, Amrita Pritam Shayari In Hindi -:
~ जितना लिखा गया तुझे ऐ इश्क़
सोचती हूं उतना निभाया क्यू नहीं गया।
~ प्रेम में पड़ी स्त्री को
तुम्हारे साथ सोने से ज़्यादा अच्छा लगता है
तुम्हारे साथ जागना।
~ चिंगारी तूने दी थी
यह दिल सदा जलता रहा।
वक़्त कलम पकड़ कर
कोई हिसाब लिखता रहा।।
~ काया की हक़ीक़त से लेकर
काया की आबरू तक मैं थी।
काया के हुस्न से लेकर
काया के इश्क़ तक तू था।।
~ मैं उस प्यार के गीत लिखूँगी,
जो गमले में नहीं उगता,
जो सिर्फ धरती में उग सकता है।
~ अंधेरे का कोई पार नही
मेले के शोर में भी खामोशी का आलम है
और तुम्हारी याद इस तरह जैसे धूप का एक टुकड़ा।
~ सभ्यता का युग तब आएगा
जब औरत की मर्ज़ी के बिना
कोई औरत को हाथ नहीं लगायेगा।
~ भारतीय मर्द अब भी औरतों को परंपरागत काम करते देखने के आदी हैं
उन्हें बुद्धिमान औरतों की संगत तो चाहिए होती है
लेकिन शादी के लिए नहीं
एक सशक्त महिला के साथ की कद्र करना अब भी उन्हें नहीं आया है
~ सपने – जैसे कई भट्टियाँ हैं
हर भट्टी में आग झोंकता हुआ
मेरा इश्क़ मज़दूरी करता है।
~ जानते हो मेरे पास कुछ संदेशे हैं
जिनका इंतज़ार किसी को भी नहीं।
~ पैर खोलो तो धरती अपनी है
पंख खोलो तो आसमान।
~ कई बातें ऐसी होती हैं
जिन्हें शब्दों की सज़ा नहीं देनी चाहिए।
~ इंसान भी एक समुद्र है
किसी को क्या मालूम कि
कितने हादसे और कितनी यादें उसमें समाई हुई होती हैं।
~ मेरी सेज हाज़िर है
पर जूते और कमीज़ की तरह
तू अपना बदन भी उतार दे
उधर मूढ़े पर रख दे
कोई खास बात नहीं
बस अपने अपने देश का रिवाज़ है।
~ मेरे शहर ने जब तेरे कदम छुए
सितारों की मुठियाँ भरकर
आसमान ने निछावर कर दीं
~ तड़प किसे कहते हैं
तू यह नहीं जानती
किसी पर कोई अपनी
ज़िन्दगी क्यों निसार करता है।
अपने दोनों जहाँ
कोई दाँव पर लगाता है
नामुराद हँसता है
और हार जाता है।।
~ मेरे इस जिस्म में
तेरा साँस चलता रहा।
धरती गवाही देगी
धुआं निकलता रहा।।
~ मेरी नज़र में अधूरे ख़ुदा का नाम इंसान है
और पूरे इंसान का नाम ख़ुदा है।
Amrita Pritam Quotes In Hindi, अमृता प्रीतम की शायरी -:
~ इस जन्म में कई बार लगा कि
औरत होना गुनाह है
लेकिन यही गुनाह
मैं फिर से करना चाहूँगी,
एक शर्त के साथ,
कि ख़ुदा को अगले जन्म में भी,
मेरे हाथ में क़लम देनी होगी।
~ मुश्किल है इमरोज होना
रोज रोज क्या, एक रोज होना।
~ यह आग की बात है
तूने यह बात सुनाई है।
यह ज़िंदगी की वो ही सिगरेट है
जो तूने कभी सुलगाई थी।
~ जिसके साथ होकर भी तुम अकेले रह सको,
वही साथ करने योग्य है।
~ खुदा जाने
उसने कैसी तलब पी थी
बिजली की लकीर की तरह
उसने मुझे देखा
कहा
तुम किसी से रास्ता न मांगना
और किसी भी दिवार को
हाथ न लगाना
न ही घबराना
न किसी के बहलावे में आना
बादलों की भीड़ में से
तुम पवन की तरह गुजर जाना।
~ तेरा मिलना ऐसे होता है
जैसे कोई हथेली पर
एक वक़्त की रोजी रख दे।
~ उमर की सिगरेट जल गयी
मेरे इश्क की महक
कुछ तेरी सांसों में
कुछ हवा में मिल गयी।
~ इंसान अपने अकेलेपन से निजात पाने के लिए
मुहब्बत करता है,
और मुहब्बत इस बात की तस्दीक करती है कि
उसका अकेलापन अब ताउम्र कायम रहेगा।
~ यह जो एक घड़ी हमने
मौत से उधार ली है
गीतों से इसका दाम चुका देंगे।
~ जीवन भी बड़ा अजीब होता है।
कई बार उसकी परतों में से हम
जिस रंग को खोजते हैं,
वह नहीं निकलता पर
कोई ऐसा रंग निकल आता है
जो उससे भी ज्यादा खूबसूरत होता है।
~ पर यादों के धागे
कायनात के लम्हें की तरह होते हैं
मैं उन लम्हों को चुनूँगी
उन धागों को समेट लूंगी
मैं तुझे फिर मिलूँगी
कहाँ, कैसे पता नहीं
मैं तुझे फिर मिलूँगी
~ रात ऊँघ रही है
किसी ने इन्सान की
छाती में सेंध लगाई है
हर चोरी से भयानक
यह सपनों की चोरी है।
~ कई बातें ऐसी होती हैं
जिन्हें शब्दों की सजा नहीं देनी चाहिए।
~ जिससे एक मर्तबा प्रेम हो जाए
फिर जीवन भर नहीं टूटता
अतीत की स्मृतियों से वह कभी रिक्त नहीं होता
प्रेम कि मृत्यु हमारी आंशिक मृत्यु है
हर बार प्रेम के मरने पर हमारा एक हिस्सा भी हमेशा के लिए मर जाता है।
~ मैं और तो कुछ नहीं जानती
पर इतना जानती हूँ
कि वक्त जो भी करेगा
यह जनम मेरे साथ चलेगा
यह जिस्म ख़त्म होता है
तो सब कुछ ख़त्म हो जाता है।
~ स्त्रियां उतारी गई सिर्फ़ कागज़ और केनवास पर
नहीं उतारी गई तो बस रूह में।
~ कहानी लिखने वाला बड़ा नहीं होता,
बड़ा वह है जिसने कहानी अपने जिस्म पर झेली है।
~ तेरे इश्क की एक बूंद इसमें मिल गई थी।
इसलिए मैंने उम्र की सारी कड़वाहट पीली।।
~ जब मैं तेरा गीत लिखने लगी
कागज के ऊपर उभर आईं
केसर की लकीरें।
सूरज ने आज मेहंदी घोली
हथेलियों पर रंग गई
हमारी दोनों की तकदीरें।।
~ यह कैसा हुस्न और कैसा इश्क़
और तू कैसी अभिसारिका
अपने किसी महबूब की
तू आवाज़ क्यों नहीं सुनती
~ मैं दिल के एक कोने में बैठी हूं
तुम्हारी याद इस तरह आयी
जैसे गीली लकड़ी में से
गहरा और काला धूंआ उठता है।
~ आँखों में कंकड़ छितरा गए
और नज़र जख़्मी हो गई
कुछ दिखाई नहीं देता
दुनिया शायद अब भी बसती है।
~ पर अगर आपको मुझे ज़रूर पाना है
तो हर देश के हर शहर की
हर गली का द्वार खटखटाओ
यह एक शाप है यह एक वर है
और जहाँ भी
आज़ाद रूह की झलक पड़े
समझना वह मेरा घर है।
~ उस मज़हब के माथे पर से
यह ख़ून कौन धोएगा
जिसके आशिक़ हर गुनाह
मज़हब के नाम से करते,
राहों पर काटें बिछाते हैं,
ज़बान से ज़हर उगलते,
जवान खून को बहाते हैं
और खून से भरे हाथ
मज़हब की ओट में छिपाते हैं
~ फिर बरसों के मोह को
एक ज़हर की तरह पीकर
उसने काँपते हाथों से
मेरा हाथ पकड़ा
चल क्षणों के सिर पर
एक छत डालें
वह देख परे सामने उधर
सच और झूठ के बीच
कुछ ख़ाली जगह है
~ सारे देशों के दुःखों की भाषा एक ही होती है।
~ मैं चुप शान्त और अडोल खड़ी थी
सिर्फ पास बहते समुन्द्र में तूफान था
फिर समुन्द्र को खुदा जाने क्या ख्याल आया
उसने तूफान की एक पोटली सी बांधी
मेरे हाथों में थमाई और
हंस कर कुछ दूर हो गया
~ मैं तुझे फिर मिलूँगी
कहाँ कैसे पता नहीं
शायद तेरी कल्पनाओं
की प्रेरणा बन
तेरे केनवास पर उतरुँगी
या तेरे केनवास पर
एक रहस्यमयी लकीर बन
ख़ामोश तुझे देखती रहूँगी
मैं तुझे फिर मिलूँगी
कहाँ कैसे पता नहीं।
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