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Sant Ravidas Quotes In Hindi, संत गुरु रविदास के विचार -:
~ किसी का भला नहीं कर सकते, तो किसी का बुरा भी मत करना।
~ यदि आपका मन पवित्र है तो साक्षात् ईश्वर आपके हृदय में निवास करते हैं।
~ मोह – माया में फंसा जीव भटकता रहता है। इस माया को बनाने वाला ही मुक्तिदाता है।
~ भगवान उस हृदय में निवास करते हैं जिसके मन में किसी के प्रति बैर भाव नहीं है। कोई लालच या द्वेष नहीं है।
~ जीव को यह भ्रम है कि यह संसार ही सत्य है। किंतु जैसा वह समझ रहा है वैसा नही है। वास्तव में संसार असत्य है।
~ ईश्वर की भक्ति बड़े भाग्य से प्राप्त होती है। यदि आप में थोड़ा सा भी अभिमान नहीं है तो निश्चित ही आपका जीवन सफल है।
~ कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न दें। एक छोटी सी चींटी शक्कर के दानों को बीन सकती है परन्तु एक विशालकाय हाथी ऐसा नहीं कर सकता।
~ हरी के समान बहुमूल्य हीरे को छोड़ कर अन्य की आशा करने वाले अवश्य ही नरक जायेगें। यानि प्रभु भक्ति को छोड़ कर इधर-उधर भटकना व्यर्थ है।
~ जिसके हृदय में रात – दिन राम समाये रहते हैं। ऐसा भक्त राम के समान है। उस पर न तो क्रोध का असर होता है और न ही काम भावना उस पर हावी हो सकती है।
~ मनुष्य को हमेशा अच्छे कर्म करते रहना चाहिए, उससे मिलने वाले फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि कर्म करना मनुष्य का धर्म है तो उसका फल मिलना हमारा सौभाग्य।
~ जिस प्रकार तेज़ हवा के कारण सागर मे बड़ी-बड़ी लहरें उठती हैं और फिर सागर में ही समा जाती हैं। उनका अलग अस्तित्व नहीं होता। इसी प्रकार परमात्मा के बिना मानव का भी कोई अस्तित्व नहीं है।
~ राम, कृष्ण, हरी, ईश्वर, करीम, राघव सब एक ही परमेश्वर के अलग – अलग नाम हैं। वेद, कुरान, पुराण आदि सभी ग्रंथो में एक ही ईश्वर का गुणगान किया गया है। और सभी ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार का पाठ सिखाते हैं।
~ सभी कामों को यदि हम एक साथ शुरू करते हैं तो हमें कभी उनमें सफलता नहीं मिलती है। ठीक उसी प्रकार यदि किसी पेड़ की एक एक टहनी और पत्ती को सींचा जाये और उसकी जड़ को सूखा छोड़ दिया जाये तो वह पेड़ कभी फल नहीं दे पायेगा।
~ कोई भी व्यक्ति किसी जाति में जन्म के कारण नीचा या छोटा नहीं होता है। किसी व्यक्ति को निम्न उसके कर्म बनाते हैं। इसलिए हमें सदैव अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए। हमारे कर्म सदैव ऊंचें होने चाहिए। व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊँचा या नीचा बनाते हैं।
~ जिसका मन निर्मल होता है भगवान उसी में वास करते हैं। जिस व्यक्ति के मन में कोई बैर भाव नहीं है, किसी प्रकार का लालच नहीं है, किसी से कोई द्वेष नहीं है तो उसका मन भगवान का मंदिर, दीपक और धूप है। ऐसे पवित्र विचारों वाले मन में प्रभु सदैव निवास करते हैं।
~ किसी की पूजा इसलिए नहीं करनी चाहिये क्योंकि वो किसी पूजनीय पद पर बैठा हैं। यदि उस व्यक्ति में योग्य गुण नहीं हैं तो उसकी पूजा नहीं करनी चाहिये। इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति ऊँचे पद पर नहीं बैठा है परन्तु उसमे योग्य गुण हैं तो ऐसे व्यक्ति को पूजना चाहिये।
~ भ्रम के कारण साँप और रस्सी तथा सोने के गहने और सोने में अन्तर नहीं जाना जाता। किन्तु भ्रम दूर होते ही इनका अन्तर ज्ञात हो जाता है। उसी प्रकार अज्ञानता के हटते ही मानव आत्मा, परमात्मा का मार्ग जान जाता है। तब परमात्मा और मनुष्य में कोई भेदभाव वाली बात नहीं रहती।
~ जिस तरह केले के पेड़ के तने को छीला जाये तो पत्ते के नीचे पत्ता, फिर पत्ते के नीचे पत्ता और अंत में पूरा पेड़ खत्म हो जाता है। लेकिन कुछ नही मिलता। उसी प्रकार इंसान भी जातियों में बाँट दिया गया है। इन जातियों के विभाजन से इन्सान तो अलग – अलग बंट जाता है। और अंत में इन्सान भी खत्म हो जाते हैं। लेकिन यह जाति खत्म नहीं होती है। इसलिए जब तक ये जाति खत्म नहीं होगी तब तक इन्सान एक दुसरे से जुड़ नहीं सकता है।
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